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98.98 यस्मिसतु पसे वधेनेहि नि चनं तस्मिन्पशे यनेयेम शब्दो मेधवभेनेति योज्यः उदकशब्दछ तस्मिन्पेश्ध्या- ` हार्योऽभिव्जँनसवधात्‌ 0

* तपु 7. २8०, 898, यद्वा विपूवैत्सर्तेगेत्यथात्य- यथा वेसरो निःपादकगताभ्यां विरूडभ्यां नातिनभ्यामश्च- ्यचीत्यस्मेकारस्या कारः \ पृषोदणदित्वात्‌ विविधं सराणि त्वजात्या गदैभत्वजात्या संपन्नः ! रवं यावद निष्पाद्‌को

विस्तीणौनीत्यथैः वासराणि वेसणणीत्यवं भाषे पूवेभागापरभागो नद्नताभ्यां विरुदधाभ्यां शीतोष्णाभ्यां पूवे- परशब्दस्य भागगकेन शीतेनापरभागगतेनोष्णेन संरव॑धाद्वेसरसदूरत्वा- `

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^. गोतः गोरूपस्यव सयव०

] गोषत + गोर्‌ 08. गोट तरथं धनं

०९ .^ (~. 9१)

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ताष्ये वृष्यं चिष छपुचं सवणे नृ यद्वा गभादिस्वस्षये ^.

ताद्य वृष्यं चिष छपुच सुवणे तृ पदा गभादिष्रस्तस्तये 0 धा.

ताघ्ये नुं नृ पच सुपणं नु यद्वा गभारिस्वखाप ५५.

ताघ्ये तृखपुचं सुपणं यद्वा गभोादिस्वस्तये ? .

ताष्यं वुं चिष पुच सुवत्मे तृष्‌ यद्वा गभारिष्लथे 0४.

ताघ्यं तृसपुचं सुपणे यज्ञा गभारिस्वस्तये 84 {1 15 लल्ध्यः प्रा धाऽ 19885806 088 ॥€€ा) 7118प्1€15{00त्‌ $ श्‌] {€ (गु $1508. 1116 ८०00] पऽ 1१८ [दद्वप 2 एला 68 १86, 0 866 {29 6 दग -

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ताष्ये तृकपुचं सुपणे तृष्पुचो गमोरिः स्वस्तये

एप 15 प्रला6 शा वप्प्राजतष्क 0 ९8102 0808 8714 0धाला§ ६16 80) 0 वपु 518 2 {1८ नापर परा षपलो 2 8108168 7 (ना ्रा0 (शप्रो (ता-509 15 {18६ ला वगा ा1€8, कललमवष्ठ ६0 ददा 1४. 7, 105, 76 0िलाा6तव्‌ एक 06 88106 प्री, ४12. यञ्‌. 1 प्रीलार्थाणा€ 18६९ 1४06 वठप प्राक पऽ 16806 प6 मपह 76दता्, 86 | 1184९ 00९, तायै तृक्षपुवं सुपे ! वृक्षाद्यन्‌ गनगीदिः 07: गगैदित्वात्‌

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0/1

अवी 9.907.१01

५. वृहती यष्टकडिद्वा ट्शक्वत्ती पंचमीषष्ठयो प्रस्तारपंक्ती चिडाटश्कद्य्ट- 8. बृहस्पती ्यष्टकदिज्ञादशकवती पंचमीषध्यौ प्रस्वारपक्तौ चिह्ादशकद्यप्‌- 0७. बहती न्य टक डि बाटशक्वती पंचमीषष्ठयो प्रस्तारपंक्ो दिदाटश्कद्य्ट-

9 क्यौ प्रस्तारपंक्ती दिद्वाट्शकद्य्ट- ^. वती शष्टास्तिसो वि- 8. वती शाक्िसो वि- 0९. कवत्ती ` शिद्ा तिस्रो वि-

स्तिसखो वि-

ष. कवती सप्रमी महासतोवृहती अष्टकडिद्वादशकवती शि्टा

4 रादूपा एकादशिनस्तयो कशेति लकणएलधिताः 1 8. रदषा रकादशीनसखयौ कशेति लक्षणलसिताः 0. राट्‌ रूपाः एकादश्िनस्लयो रेति लशषणत्छसिताः | अ. रादूपा रएकादशिनस्तरयोऽष्टकशचेति ठकणएलसषिताः {€ कप 016 ९8 ना8 [25820९6 वकरण धात्‌ @011]876 1 1106 0पहापव्‌ 16२५

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28. हृदा इत्स्येना तार्स्ा ! ता व्ट्‌ ` 0४. इ्स्थे ततता तस्याच्चखन्छ

| | . | 6. इदा हृस्यन त्ास्याचाड न्दा

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तात्सथयात्नाच्छन्डं, 28 0 11814166, 10 1. 74; ¢

१५:

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तवव ००५१५८०५७० ०५०५०५१३

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>. 48. 1. 21. प्र€ ला) +8. 16845 सस्तिप्रचयो. 4 1. 411 2. 0156 प्रचितौ, (11. प्रचित. {3 1. [5 प्रचितो, } प्रचयो (1 014007८ पी गु 8. ्रालटणि"€, णाल 8] 2018 111९ [ला] +६. 185 -५ 2. ला प्रचित 11051 1657164.

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871] व्व्मलः: सुसं तं रक्षः हु यज्ञसाधनमित्यनिप्रायः १. अ. 1. 9. पाशचैयोरेव स्थितं एए. पार््रैयोरखस्यिं 04. 01 क, 1. 5. तिष्ठल्समद्धि ए. किष्त्समंगि 1, प्र11611 15 1140४ 85 अनः 15 16्र्ला. 1 ए. श्त. 1. 24. दिसितुमुदयताः ए. दिंसिदुसुदयुक्ताः 1. 2. अर. 1. 6. धास्क पोषकं भवसि फ़. धारक पोषकं वासि | ` १, ए. 1. 17. शकटस्य व्रीहीणां #४. शकटस्यत्रीहीर्णा ४, 11 18 11911 ए. शष. 1. 4. काभ्यामश्िनोवैहुभ्यां #४. कन्यां अश्िनोवैडुभ्यां #, 11161 18 1101६, 0 {6.6 पञ 8 9 6 चत्‌ 8 वप्च्डौना, धत {16 805 ला" 0671725 11 अश्चिनोः. | ए. इष, 1. 2. त्वा संपरिशेषयामि 1 पृ, त्वात्वा परिरोषयामि, 1101) 8661185 066 गा]. अकी. 1. 12, कत्‌ लुह्मरौषला€ ए. उप, 1. 39. 4 पिल युष्मानुतयुनामि, 11. 2008 उकच्येण शोधयामि, 1611 15 161 0प॥ „एणः प्रलयः, 98 25 0 6 एह [06 लः सूयेस्य. 0 0. पा. 1 16. वगा6€ प्रश्नप्रा 25 701 एष. पा. 4 68, 1, एण ४1. 4, 7 70४ 10 96 त्रप इवक्तीण, एत्न 86 30 फ0पात 06 पवद {णः 2. उणा. 1. 4. लिः कृच्छानिनोदूललादीनिः 1. 85 पाताणि, 016) 18 1 एकिः छलल. = | : ?, ण. 1. प. पतितम्‌ 0

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1. ४. 1. ४. हे उपे उपरितनशिल त्वं ४. हे उपके उपरितनशिले त्वं 4, 11161) 15 11004. 1, 1४. 1. 0. वाकखखरूपा ४४. वालासरूपा #, 116 16 0. | 0. +. 1. 24. पिष्टवपनीया ५४. पिषटसंयवनीया, 710 भ]$ 8, एण @अ50 # 09 सयवं

१. 5. 1. २५. किं सस्माद्‌० र. किंच सतोऽस्माद्‌० 1161 18 11211

९. उर. 1. 8. निष्काशितः 1४. निष्कासितः 9, ८] 18 ला, 866 280600015 लगाया, 8.४. 1. 24. निः कारनेन ५४. निष्कासनेन =

2. >. 1. 13. पूदैस्यामाहवनीयः पालकोऽस्तीति भावः! फ. पूवैस्यामाहवनीय खव पालकोऽस्तीति नावः रश

षि. करस. 1. 24. विविधं रपति वेदतयरूपेश शब्दं करोतीति विरप्शी यजो वेदिं प्राप्नो विष्णुः संबोध्यते €, 705 9 9], यज्ञे 15 710४ क्रू]0 160 98. 2. गए, 2 10168801. ४९१९९" 84.168, प( 150 1४ च. शद्८मातवक, +€ 1258306, 85 [17166., 4068 1191; (णाऽ प्रह (णलङ, ® बेदतयरूपेण शब्दं करोहि पा९६ ्र6€ (भपरल लन्रलः यज्ञः 07 विष्णुः. १४6 टा १५२ इति विप्प्फी यज्ञः, 0 000770९ इति विरष्छी यज्ञे वेदित्वं प्रापो विष्णुः. 11116 [रला 8668 धातवो ता [ालापिजा, 0 (णप, शम प0) 06 4०१68 ए168, विरप्शिनिति \ अमतिं महव्राम चिष्णुधेजञे वेदित्वमापन्नः हि लिभिर्वेदेनिवैतयैमानो षिविधं रपति शब्दे करोति

{ि. ५1. 1. 18. पंचम्य्यी पण्नो फ, पंवम्यर्ये पलयो #, एा1९), (णाल ४06 8€तथ पष्ठी, 15 1114

१. +}. 1. 19. धाती प्र. दात्री ४, फाला, दगाऽवलाह फा ६०68 00 शला | एल

ए. अ]. 1. 18. बहिनशं फ, वहिषे जुं 0, (पला) 18 पष्ट ए. जप. 1. 2. केदनमसि फ. केदनसाधतमसि #, 01101 18 [कध्ला | ` 2. उकण). 1. 6. कया फ. श्रुनिकथा, 101 छण 8. 2, एण 8156 #, पनी ना†8 | कृत एदणि.€ इनि. ` 4 ^ ^ 7 | उश, 1. 27. (पलि इतिगेतिः, 10. 2005 विषिधेतिवीतिः,

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इगयादि समानाः, 111९1} 8ध्नप३ 0{€ा' 1. ए. 1.7. मां व्रब्माणमव पाठय! ४४. मामध्वयुमव पातय 1. {12 185 गकु मानव पालय.

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र्पाते सन्ने) इतः प्रभृति प्राकृत्रमाष. | -: ए. 18. 1.5. प्यासिषीमहि ४४. सा प्यासिषीमहि }#, 111९} 18 11011 ए. पा, 1. 2. पृथिवीं बंधिभागानादाय पृथिवीं वधिभोगानाद्‌ाय 11, 116] 18 11011,

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16801105. ि 5, 4, 74108 6. क715 +{8. 188 एष्ला प्प्रठौ 168 ॐत ९0116616 1 {€ 1851

31६. [आ 118 नदा चल 1८ शद (प्री 4 ; 6 लणतल्टप्नगाऽ कात पप्रालछणड पाटा 70168 दगोा€ तणा & 8. 80प्ा'८६. 6. (8. #् 0५ +8. (0 पदी रल (शलल्या, 11 18 6 &160681 एकप, 5 (0 प्ण माक 168व9 5 1466०५९४ ए0धी प्ल 4. 8116. 8. ९128868, एप 25 अपगु 78588668 शल्‌ गफ हत्‌ 19 9] (ल 389. | 7. 3 1. #ष्टन्लाोऽ0प्ऽ ८0 8. 3 २. एप्णाछ०ण'§ दगु, धकःला तिना) 8{€ण्टाऽ०'8 8. 1 पध्का8९1106त ४116 (लाप 1211318. 24 ए813, धत तः 9त्त्‌ 1४ ०, उन नभि 2846. 45 { ५8८6 = {16 #110]€ 9 1, पाप णु 18, 1 96ा6र&, एलःष्लपक्‌ प्र प्डजकणक, 6ण्ला, 96 प्5 = | 4 | 16६ 0151866 ध्06 | , 1 ~ ` 9. 83. 4 फ्न्वलछा दगु, > पला€ कृल्प 8 1 (३९ एन्‌. [. 0. ण.) 1 1, १. 10. #1. 470" ए. (णृ, इलाह †0 क़ 10. प्रश्ण तित 10018. 1 फ88 वलाण्त्व्‌ = तिजा) 1, वातट्लुकक 0 ताल्वा, एए एणि€ 2 7. 08 एल्ला दणाा८८१७त्‌ क्ती | ` लाण्ण णोर. (866 उ, 56.1.09. = प्ल€ र, 1४8 इक 18 70 अप्तरु एप = 18 35 स्फः ०र्लः एतत कलाक णप. ध. 188 अद 72, 70 0 सप्ता.) | 018 ४8. 28 सलिल कश्च-5 7618660 7 पाङ 61609 षु 1

2 ए. ए17148 18671018. |

11. 08, 118. 160४ 706 707. 80290 (श एव्व णाना, वद्ाल्लंपट दलाल 11) #, (प 1€€ 06 {1676 ऽप] (०018 211 11271119] 1101658.

[प 88886 पृपम्त्‌ एदणिः€, 1४ 88 पि 178 1 1) इणौ)). गृ6 ‡766 लुणछ€ा†8 ए€ 288. 106 लश] 45 भर2 96 : + (2. आत 7. 0? {11686 4. 18 एवान] ऽपपणण+€त 10111 भत 4. {77 ११८५५८६ (१.

( १, ऽव1त3 108; 2 1. 35 इपणु०6्त्‌ 9 2, वगलकदात5 (12, 80 6717168 4. 5८. १५४. = 10 तलप [2552468 {16 ^. 76201128 शल€ ९116८४९

फ़ ^ 7; प6 8. रव्वताण्डऽ 0 8 35;

2388 1. [716 16. (इ. 46, 2.) महान्‌ गुरः पूज्यः ^. महान्‌ गुरः पूज्यमानो वित्‌ (18. गुणे पूज्येः 8 1. 2. 1. ए. 1.1. 26. (कर. 46, 1.) वेया वैता 2. ज्ञाता ^. 8 1. 2 4. | | | ए. 1. 1. 70. (द. 46, 7.) वेद्यां 4. (8. ; ५668 111 21. 2. 104, ए. 1. 1. 28. (दर. 46, 1.) अपां समीप इवधेः (12. अपसामित्ययेः ^. 84. 2. 4. . 1. 1.19. (ट. 46, 7.) अथवा (4. ; 06651 4. 2 1. 2. ५. 2. 866, 7081), [0126685 यहा | 2180 1€76 करमैखामुपस्पे. | ए. 1. 1. 29. (र. 46, 7.) पुनः प्राथितः ^. 1. 2. 2; पुनः 16681 70 (8. 1 2.3. 1. 3. (९. 46, ग.) 7. (श्ाक-8 18. (2 4) €? "€ -शगानफ्नषट 7एवकृलातला। | ८गापालाईधा.क 0] एला86 1; होत्ता देवानामाद्दाता जातः प्रहुतः यतः नभोवित्‌ प्रथमनभस आकाशस्य वेदितवान्‌ | अतः महान्‌ सर्वेभ्यो भूतिभ्यः प्रयममाद्हाने आादिभूतत्वेन महत्वं नृषा नपु मनुष्येषु जटराग्निरूपेणावस्थितवान्‌ होतु- रनेरभयो्लोौक योरेव वावस्यानं नभोविदितयनेन नभसि \ अपामुपस्थे द्विः सह स्थाने विद्ुदूपेण खवंरूपोऽग्निः | पृथिव्यगरनःसु पराभूत \ दधिः पृथिव्यत्ेजसो धारकविनापि यः र्व वसूनि विधते वसूनां य॑ता यो नियंता (1 | भवति ! रव विदधातु शक्तो तनूपाः तनूनां देवसतुष्यादिशरीणणां याता रक्षकः सो स्म्य शञरीरपोधकानि वसूनि विदधातु इत्याशास्मरे | | ए. 2. 1. 9. (2. 46, 2.) सधस्थे सस्थान (14. 860. 7081. ; १668 111 ^. 8 ग. 2. 4 #. ९. 2. 1. 9. (९. 46, 2.) निगूढं (1. ; १6९७१ 110 ^. 8 7, 2. 4. #. | 0.1.69; (र. 46; 2.) परि्रेत (4. 4. 2 4; १66९४ 1 87. 2. 0. ए. 2.1.29. (क. 46, 2.) वि्तीनं ^. 2. 8 4. विक्छीनां 3 7. 2. 24. १. 2.1.13. (-&. 46, 2.) स्तोतिः (1४. ; १९९७१ 7 4. ए. 7. 2. #. स्तोवादिहविभिषेनमिच्छनो } 4 2.५. 1. 3. (रर. 46, 2.) चात्मन इच्छतो अनिमि्षतो (1. सआात्मानमिच्छतः 4. 2 7. 2. #. | ` 2. ५.1.24. (क. 46, 3.) पलाय्याष्ु 8. पलायाप्ु ^. पलार 8 7. 2. ‰¶. पलायमानस्यापतु ¬ 4. 2.2. 1. 4. (९. 46 3.) अश्या भूमिः 1 तस्या भम्या मूधेनि भूम्यामित्यथैः। तला विदत्‌ लब्धवान्‌ सोऽग्निः 08. चाग्र्या मद्धि भरम्यानित्यैः तताविंदत्‌ कयवान्‌ सोऽग्निः 4. अगच्याः भ्रम्याः मूद्खैनि भूम्यामित्य्ः तताषिदत्‌ ` ` कमवान्‌ सोऽग्निः 84 एप 26160 1710 अविदत्‌ प्राप ततः. सष्याया गोमूषेनि | अविदत्‌ प्राप ततः 1. 2. अश्ाया गोमूयैनि सर्विंदन्‌ प्राप्रव॑तः # | #

24.1.24. (२. 46, 3.) सुखस्य वधयित सन्‌ (8, 4, 8 4; एप 8146764 1१0 सुखरूपः 1; सुलरूपः 5 1. ४. 2.०. 1.26. (द. 46, 3.) यत्तस्यादिवस्य वा 8. आदियस्य यज्ञस्य वा ^. 2 2. 2. 14. मुखस्य यस्य वा 4. ` 2. 3.1.7. @. 46, 4) 08. [न्प७8 0 प16 णत्‌8 एकता चाहवनीयं 910 सभ्नणणां- = ` , 3.1. 7. (द. 46. 4) 0५. 2685 नेतारं प्राययितारं, 4. ? 7, ५. 11. 1896 नेतारं चरति म्र, =

1

ए^ एष168 [ए0का0क8. 3

९. 3. 1. 77. (. 46, 5.) जेतव्यान्शवृन्नयंतं नेतव्यान्‌ (8. 8 1. 2. #. जेतव्यं ^. शतृन्‌ जयंत 4.

९. 3. 1. 18. (>. 46, 5.) भूजेयंतभिेकं पदं कृत्वा भूरदीन्‌ लोकाञ्चयंतमिति व्याचकार भूजैयंतमिति (रकं

पदमिति 11121.) कृत्वा €{८. (8. भूजयंतभिि रुकद्मिति मावा €{९, 4. भूजयंतं इति मत्वा भूरादीन्‌ जयंतमिति व्याचचकार 1. 2. (मूतदीन्‌ +{.) उन्मीये भूजेयंतमित्येकयदं मत्वा €{८. 8 4. {7 1118 (लाद 0 1116 §01118-ए९वत, सवकुताव, 8.40) ४5 {116 86 वाणम 0त8. = व166 16 5978, प्रत्ययं जयंत मित्यनेन संवंधयितव्यः भरः प्रथमेकवचनमिद्‌ं दि तीयेकवचनस्य स्थाने द्रव्य |

९. 3. 1. 24. (>+. 46, 5.) ग्रीणधनस्तुततिं प्रीणनस्तुतिं (^. ^+. 8 4 प्रीणवस्तुमिं 8 1. 2.

९. 4. 1. 12. (-. 46; 6.) 3 7. 2. प. तत्‌ शो ल्ाश्चाक्प्रिणा 0 येतेः, ४12. अकासोऽधिवाचकः तेनायमधेः सथिकानां शतूणां यंता: नियमनानि तेः सह शतुनिग्रहं कुवैन्नि्ययेः !

¢. 4. 1. 22. (९. 46, 7.) शितौ चयः श्चेतिमानमंचतः॥ श्ितिमान चयंत (2. श्रेतिमानमंचतः ^. शतिमा- चयवंतः } 1. 2. 9. शतिमानमंवेतः 94. 0 €पक्मिश्ष्िणा 0 ऋनयः. 41110 {16 811111४९ <८1101040 4068 710६ छट्टपाः 7 +ए्1186ा1, 707 71 (ला प्रा0दर8 (न्ना, 11 15 ९०ल्ला$ 0प्6त्‌ ट्ल्छप्वा् ६0 एवै). ४. 1, 124

| 5. 1. 7. (>. 46, 8.) रसशाय 4. (2. 8 4. रदणानि 82. 2. #. ए. 5. 1. 8. (>. 46. 8.) मदं स्तुत्यं ^. (2. 34. मंदरं मादनीयं 8". 2. ४. ९. 5. 1. 9. (>. 46, 8.) यष्टूतमं वा {81684 (15, (8. 81016 16808 यजमाना धाहुभिवादधिरे, एए प्रा {प्र पोहा यषटूतमं 13 116), (0 ¶#] (116 11866 पिल 10 मि.

।६। 02.00: 1, 26.

>

7. 7 10111110 [पै वृ्लादिवधादिरूपेण कमेखा सायेति गच्छति ¦! अथेतिमैतिकमे यदा अथे ईश्वरं कुर्वति 1. 98 1. ६06 5व.111९, ९८]){ वृ्तवधादि-. भ. 1125 सयति 9 4. £17€8 कलिः संपादितवान्‌, केन कृतेन कर्त्वेन वृला- दिवधादिषूपेण कमणा तथा देवासः देवाः मयि क्रुं पि वेनन्‌ संपादितवंतः वृतादिवधा मम अनीकं सेन्यं कभ प्रज्ञा वा सूयैस्पेव दुष्टरं मां खयेति गच्छंति सथिरम तिकमे यद्वा खथेमीश्रं कुषेति

7. 13. 1. 4. (+. 48, 4.) खलनिप्पाद्ने यथा खलनिष्पादने ^. (2. खलनिष्याद्मे 8 4. 860, 7118 ने न; खत्दनिष्पादनेन 231. |

0. 16. 1.10. (६. 49, 3.) इदानीमिव कृतानीत्यनुवदति ^. इदानीमेव ऋृचानुवददि (४. इदानीमेव कृतान्य-

नुवदति 1 4. इदानीमेव क्रियत रयनुवदति 31, 7. 16. 1. 22. (+. 49, 4.) प्रदेशं 37. देशं 4. 4. 8 4. [7 शा. ठपात्‌ 1 ०6 प्रदेशनं१

1. 17. 1. ५. (\. 49, 5.) ग्रं करे +. 4. प्रदमकर (8. नघ्नं मृदं यके कर 3 1. 48 1] {€ १188. + ॐ¶व114. 01१6 अडभावशदधादसः 11 15 (€ {8४ 8वक 22 1686 आयवे कर. 1116 188.

` 9 {€ {448 ८६, 10णटण्टाः 0196 सकर, | (1

१. 22. 1. 16. (ई. 5०, 5.) चम मत्यादिष्‌ ! सौणादिक च्ातन््र्ययः छंदस उमादे ञः चम गत्यादिषु सोणादिक 1 ालन्परययः दस उरादिरदेशषः 1 ^. (8 4. 86९. 70871. कस््रन्ध, 2110. आओमादेशः.) खम गत्यादिषु ्ोणादिक अतन्प्र्ययः खांदसः उमादेशः (2. सखोमचादिषशादिको वन्प्रययः दांदस उवडङदेशः 4. सोमच्रादिषु आओणादिको

तनप्र्ययः हादस ऊडदेशः 8 1.

| | 2.23. 1.19. (क. 57; 2.) सौचिको नामाण्निः। 81. सोचीको नामाग्निः 8 5. ^. सोचीको नान 010, (1

&

18 {8

8816 एकलः €ण€ः 8 70906 2 4९701 0८्८पाः

(-. 47, 1.) वृ्छवृच्धिभ्यां ८\. (2. 8. . @. [. 7, 3; एए 21. ण्ण. 1.

ए. 1. }. 8. (. 48, 3.) प्छ देवा मपि 10 वुवैते 6 {€ 18 हरल) पणा 8. 4. }88

| ८.217.748 1110 पि 183.

1125 17688 सौचीकः. 116 889. 07 116 ए18तव लद एथ. 18. 8. 76808 अभिचक्राम सौचीको भयादग्निरिति शरुतिः. 18, प्र. (8 8716116) 16205 अपचक्राम देवभ्यः सोचिकोऽग्निरिति श्रुतिः सूचिकः, 111 {€ 85188 0? {व्र 18 दण्ला क़ भ1150, {8त119ुर9ा14, शति 1) {116 (वा) 2- 08118, फो" ध्6 आन णप. 7 पाततिण्छठ सोचीकः 1 शरा) 0१९ भनपलीक ध्न ५6 ॥1171(-9714701, {100६1 णिता ्ध्लुकक 176 (णाल 0068 0०४ | 1 {118 ५४86 &1%€ 2) 1010द्ा९न्‌ हक्षा11181681 ९१ [19020010 [र 2. 26. 1, 6. (प. 57, 5.) संमत्या ।. 1 01१ ल्लः #0 106 तव संमत्या. ९. 6.1. 47, (कर, 52, 6.) तोदादिकः 4. 2. 8. 17 116 79४णक्ष2 चोविजौ 18 सोधादिकः. ?. 27. 1. 14. (>. 57, 9.) प्रधानस्य प्रमुखे ^. 1. 4. प्रधानदविषोऽग्रे 9. 5९९. पद. . 20. 1. 19. (९, 5 9.) शरोण्दाया वा खम्नयो शयीरदायादा वा साग्नेया 94. शयीर्दायाद्‌! को अग्नयो ^. श्रदाया वा अग्नयो (2. ; 6९8† 1) 9 1.

ए. 48. 1. 46, (द, 52, 9.) शनुजातव्यं ^. 8 1. 4 सनुत्य ८.2.

ए. 29. 1. 1. (-. 52, 2.) किंचसास इत्यथैः 7 1. 4 (६. किंच सासमिव्यैः ^. 1 86 व0षफप्णि ^ | 200४ 11५8 7883886. = 9वक प्श्क 129 17160१6 एधि @९6 0 इण€ णिता = 786 17 {76 प्राकर 02. 115 कषणा 2 (जता 2-50ि 2 1. 23) 1४68 चदरमा मे 1, बरदा समे ब्र्या ब्रां त्वामुं वृणे 25 {11 0.05 ०5९ 116 ऽधलनरद्लाः 70 श्युगूनप पट 115 12111081, 11116 16 काऽ 0? 116 81910). 18 चंदूमास्ते न्रा ते द्या ब्रद्माहं ते मानुषः 1. . | 4 5 {176 (ाालणथफ 81815, 11 फएप्यातै इद्लपि 0 फल्वो शप 118४ 5116, एद. इणो, 13 16, ए, (भावाथ. = | हि | ए. 29. 1. 3. (द. 52» 2.) त्देबोनयं भवक्तीति तदेवाभयं भवतीति (2. तदेवाभयं त्रीति ^. ते देवा भवतीति + हि?4; वच्व्छ रा 91. |

2.5. 1. 25. (2. 5, 5) जीवति मृतशब्दो जायते तस्य जीवति सति प्र याज्ञायते तस्मा: (2. जीवति .सति | मृतश न्दो जायते तस्य 3 3. जीवति प्रजाया जायते तस्या 8 1. जीवति प्र याजायत तस्याः 4. सुएभयर्व यस्मिद्नये 1 मृतशब्दस्बमग्ने 1 षश %08. आहिताग्नि मृतशब्द श्रुत्वा का तत प्रायश्ठित्निरिति 411.- 81. # 1. 9. 2 51 9 (2, 55, 4) शुषं सेवध्वमिति रवं बहूच्यमानेऽग्निमनूंति सदे देवा नु षश्नं ईति सेवध्नं ¦ रवं बहू व्यान अग्निमनूर्चति सवे देवा 4. जुषध्वं सेवश्वमिति रवं बहूव्यमान्‌ ग्निमनूदयंति सवे देवा 9 4. ^. जुषश्वं इति एवं बहूच्यमाने अग्निमनूद्यति स्वे देवा 87. ` 6 †€् 18 (मला, वात त्वपः

लापकवृिभान 1 1 ` 2. 33. 1. ५. (556 ) खग्नयेतरठे ्ातिक्रमण अगन नरो ठेख्यातिक्रमेश ^. अग्नि नसे वेद्यतिक्रमणे

84. प्ट चस्व॑रले न्ने (2. , अग्नि नरो देति चभिक्रमणे ५. | ५.1.०५. (६.८3. 7) दोकान 4. 8 4.11. चलदीयाचयान्‌ 0. === = ` ए. 34 1.29. @. 53१ 7) भियमसान्‌ (8 प्रियमात्मानं ^. 84. #. _

2.97.1.7. (द. 54, २) देवाना र्खयेन 8 4. 08. णोन निवारयेन 1“ - 2 0 उपायवर्जिते दुरे वरामेतयादिषु उत्तरगक्ेषु उत्यते व्जतषु हूर तत्रामे 84 स्स सामु नतु ५. जस साड 1

6, २.) वयो 8. 2. 9. 8. 3. 08 बयः, 116 परऽय, पऽ = | 1 85 प्ल उठ प. 67, प. प्रसर |

४.५ 17745 1861710 प्न 5

35. 9. ग. 2 धात्‌ त्रट्‌ {0 एष्व [वर्ठ दक्षा) वयोै, 1008880 8.९०] ९1968 वयोधैः 171 011 14८९६. 15 18 वा, पा०डडणि6 धा), 28 1166 18 70 आल्‌] 25 ए8४०१}118 |

१. 39. 1. 24. (-५. 55) 1.) अवेव्य सहित्य +. सहेय ^. 94. 1668} 111 (8.

>. 3५. 1. 25. (+. 55; 1.) निधाना ^. निधना 14. भ. 168 71 €8

2. 4०. 1. 2. (५. 55, ~) 4४ {6 लात्‌ एटा§€ ए, 8 4. 2408 : इति विद्युदूपदर्‌ इति वाजसनेय यद्धा पर्जन्यस्य रूपमाह तदान! वायुरस्यंदरम्य भरातावगेतव्यः

?. 4०. 1. 10. (~. 55, 2.) ~+ लः उपादितवानसि ^. 1128 भूतभव्योभया न्वयाययेत्यधैस्यावृत्तिः ।. 4. \ का बूतभव्योभयान्ययाय पे ते व्यचस्यावृ्िः. ~. 1118568 17 {6 $द्षा16 11४९९ भयाद्‌यमथं स्यात्‌ (२. 1४ पाट्‌. = यनव्यस्यावृचिः ५0 एल

1. 4०. 1. 12. (५. 55 2.) +ल प्रियधरूतं (२. 1115618 अंतर क्ं सपृणाद्दिति वीते प्र त्नं जातं ९1९.

0. 41. 1. 11. (>. 55, 4.) सत्योच्छः 0116 © [0९05 यद्योच्छः, पै 116 €] 81 18 1९8 0 {1€1€ 171 91 {€ +>.

{. 41. 1. 25. (५. 55, 5.) अननमनः प्राणनं सननं प्राणनं ^. अनेन मनः प्रीणनं 1. 3 4. अनेन मनः

प्राणने (8 {. 41. 1. 25. (>+. 55, 5.) सम्यगननोपेतं +. सम्यगनेनोपेते #1. 8.4. सम्यगमननोपेते (8 ए. 42. 1. 1. (+. 5535.) जण 9. 23 4, अदु ठप कीलः ४08. 0668 11 ^. ए. ¢ #111. 2. 43. 1. 1. (+. 55, 7.) महतेंटण (६. महता तंतेण ^. 3 1. 4. ४५. ^ धा.

अन्यगा; गच्छ! \. 23 4. (8.

0. 45. [. 20, (>. 56, 6.) संवंधिनं 4. (8. 9, 1051684 0 संवंधि, 211 184ल6006, 1 एठा इदा 0 511१5

1, 46. 1. 21. (५. 35, 6.) चेत्सीः -\. (4. 9, 1703684 चेत्सीः. (16 ऽधा76 तप 7 07. ०८5 (व्ण चत्‌ तो +8. 2. 1. ए. 1985.

१. 4. 1. 22. (५. 37.) लद त्ाा8 १6८8 10४ 106८6 2 [2658206 7 {16 4 पातश्ा181011 वै 16 कष्टा पऽ वप्रा. 6 ापा्तकावपपवै, §व.फ8, पणि चत्वारि सूक्ता्युक्ता ऋषयो द्वेषे त्वलिमदलं 1. ५. (८ [513 10606016 7 ६16 0४10९08 ग्म. 1४ 116 4 1-

11141 तध, इध {16 71९41 पा {४8.* 15 दिऽ {0 धता), ४. 24, 11616 {16

प्रा" (वपुपिककायेड काः [वपव ४8 216 ला7ना€त १8 [5018.

0. 48. 1. 1. (3. 5, 1.) 1116 6४४ #न) 1116 19 /111 025 ला पाकर 618 त. ८प७३५५्‌ 7 {6 ९८९ {9 एण. ए, 1 इध्ल€त्‌ पडि 3886 णिः [णेषु तरल ललात पाह नप€€ श्िणााच्छ 8व्ा28 1188. कट) 19 एष्य व््रान्ति 1 = वृपठञ०ण, चत्‌ छित आतु, 9६ प्ल 06 16, प्6 एल्डपाौ चथ लमा 06 कण्ण = & ललं शालीन 6 एपंप्ललछ ता्रणपाक्नील लपध्लेणा. 1 188 फएत्छा = | ०रोल्ललत्‌ $, कट्ल्गताफ्ठ 10 686 कृषालक©ः, पषा फण ६0 72.४९ ए€5ा06त्‌ सचप्रो्ेः = = ` एष््धणऽ€ 106 {€ 86. 8१९ 2. 18 -क०पात *06 प्रर एप णिः 176 च्ल 4६

. कह लल 0 तद्ध] पणत 2 णचः फकण6, पाली वका, गाङ 06 नक्र गहाण , | फाण्ट, धात्‌ फला ्लरणि€ कप्तान 6 088. पापा क1त्‌त 40 नह चक्राणि 14 जणा नि८ौ8. प्रोह, 110 110४ 6 ©0766{6व्‌ 1

1.

+ 3 {2 ( 1 „+ 14 + अनु | ग्ध : 17. 4. 1. 5. (~. 56, 3.) अनुं गाः खनुगच्छ 1 + अतु गाः अन्वगाः अनुगच्छ) 87. खनु गाः।

| 6 1748 1767110 7818.

| शो रज्य, दक्षा, 7 716 पिः 916 085 8 1010 शणफएल्‌, 6 द्थ्यापा० 7€४त्‌ स्यप्रोेः | एए 70 9त0{ 8 [क्लाफएता016 राथप्रोे. मोः 18 2 फ०ात 0? तपि 0681100. क: | "ल्छ्ा 11 {76 68180818 (अणक), 166 1 18 {0110६ प्रोष्िक. {106 (0 लाए 10 911. ४. 4; 120; ९0191085 ग्रोटः गौः, 0. 86 श्€० श. # 1. 3; 18 + प्र130 21768 1116 106€द्ध1108 0 (८) 271त 0६. 1116 ^11181.8-1र08118, ¢1ए68 01081111) | 95 1116 7876 0 8 081, कणत (णाल ३११६ [08] 28 11856177 | 170 {116 88106 86786. 18108118 01९68 116 {01108 6८; दे पूदैनाद्र पटो त्तरभाद्रपदासु 2 ` प्रो मौः भद्श्च गौः (९ प्लााश्ली धता 8, 1257 तस्येव पाद्‌ आसां तास्तवा पूर्व परोरयदे दवे उतरे ठु भाद्रपदे |. 1 ०५. खुदायशासां चतुः संख्य इहि वहुवनं कदा पव परोपदे कदा उच्चर परोपदे ईति प्ाप्कयोष्ित्वाहटिवचनं इतन ( | भरतः 1. 71 1106 {स£-१€8 प्रोष 0€्८पाऽ 01166 1016 11) ए. 55, 8, 71 प्रोषटेश्ञयाः, रणाद | २9 कपुगक्षं05 प्राके शयानाः. 1 [दा) 6०, एला86 5, स्वप्रोधेषु 18 1860 8 @11017€' | 1121116 {07 ^858171181 800 11 नि. | ( | | 6.28110, 1116 [2.58226 0010 तं सान्न 10 पराबभूवुः 18 €ए्यतवला+1 दणतप), अत 1 {18& ल्ल) शात्‌ 119 0पट॥ ४0 1687060 1 (गण ल्लप्प्ाक. एप 01} | 28 116 ण्टाश गुु05॥€ ९00्]व्ला पाश 13101.81100, (98 {0 810 10 शि 1 2 {)28822९, ए161*6 6 ८०1 701 1006 शि" सपद एन्‌], 2 8 01161666 ‰0 ५८ 11188 1810 00शा एक [शलाका क्षत जिलः 1885168] 86093, 0प]त 168त ए. + ०, [0ककर्ला, 28 एनग7116. 0ण फ़ एमसि ^. प्€06€ाः, 10 18८ एला 70 | प्रा 0 {16 ९तवतोणड ° (2. 7 असुगतं. (10 {118 18 00 {716 76841092 0फ्कातः = क्‌116) 1116 प्रा-66 श्वापा1188 ° कक्ष 88. 000४, कृ6॥ पक 0 8. (2. नत्व पलार (५. 16108 ॐअ 1746 ला# 0), श्रत सकपात्‌ इपएदन्छ प्रा€ 76ततणहु असुतर. 1 11660 | ककिताङ्ग पालात्णा काः ध6 908८९68 तुद्य रूपे 8१ संततः परिधि %€ {00 12106, शातन 9 ( ( 1716 ^पक्ा92 16016 निधाय अ0पत 06 01011{64. ¢ १. 48. 1. 22. (. 52, 9.) प्राहुयान प्रोप्नोति ^. 0४. 27. 4. #. | ए. 49. 1.6. (इ. 57 5.) केषनं 1. 966 (६ 8 ऊ-काप(व-शी 08 1. 13, 35. ४५ ?. 49. 1.18. (इ. 57, 5) सिवा, इश्ला08 {0 18१6 1216 पितरः 25 8 1 दप्रण्ठ, वेष्‌ 10 8१९ 168. जनः {78168 0 मनः. ए. 5. 1 24. (द, 58, 70) &. 198 7० वणापरलािक, एप आपुक्‌ 5818068, यत्ते अप इत्ति . यत्ते सूपैभिति यतचे पवैतानिति यतते वि्चमितति चत ऋचो लिगदसिद्धाः 1. {116 56 7 9, 6 11. ५. 188 06 उा९, ८वुं 148 76वताटु यने विश्वमिदं लञगरिति ९८. (12. 26805: सप्रमो \ यत्ते = 04 अप इति ! अष्टमी यत्ते पवैतानिति ! नवमी यतते विश्वमिदं जगदिति दशमी \ रकाद ! यत्त पणः पशणवत्त इरि चतस्र ऋचः निगदमिद्धा पंचम्यां पः परावत इतं हरदेश इयधैः षष्ां भूतं भव्यं चेत्यनेन €†९. (€ ` 98 हरल 28 पशद्ला तणा 9. ५1

{

ए. 53. 1. 2. (क. 58, 25.) 176 ऽशृशाध९ पला {701 {16 वमान एप 6 ऽपुग्‌०६60 #० 116 17 {1९ फण इह छयाय जीवसे 41 ५6 198. 271९6 प्रपंच 28 आपस, 1 2.55. 1. 26. (ए. 59 २.) निचि पायदेवता 4. 2 4. निचछतिः प्राणदेवता 2. निचछतिदेवता 2 1. 14.

नालति ¢. 5. + नको सेरा

१4

भनवेता ¢ 2411

४.4 17148 1.771108 18 1

7. 56. 1. 24. (+ ) हिनस्तु मा सागच्छतु #. खागच्छहु 87. हिनसु ^. (~ 1111. हिनस्ति (4 हिनस्तु 8९९. 11187. मे प्रागच्छतु 8 4

ए. 57. 1. 21. (४. 60, 1.) सुब॑धोजीविताद्धानरूपोऽर्यो देवदा ^. 8 4. सुबंधोसाम जीविहायां इहानरूपो यो देवता (8. सुवंधोर्जीवितद्धानरूपो चै देव्ता 8 1 १. 54. 1 (>. 60, 1.) ^+ स्ङैनरेतुभूषो {116 01त हस्तः 11112111 16 16069166

?. 58. 1. 16. (-&. 60, 2.) तस्य धल शतुः १९९8४ 1 ^. (8. 8 1. 4. 08 निययिनं (फ़ 16 8 रोक 7016 (णो ए88 17{6ात6त्‌ 0 नियाभिनं, 2110 71€व01 †0 1861६ घ0€" 1116 7157 निययिनं. 1 4. 1125 11066 नियमिनं (8९) 6 ल्ल) निययिनं 871त्‌ रथं.

2. 59. 1. 12. (९. 6० 5.) अनयेंद्रमाद्धयतेऽसमाव्यये शनयासमातिपु असमात्यथं इद्र 1. अनयासमातिषु अस मात्यये दे इद्र 1. 4. अनया इंद्रस्य समा सा समाये तता घवाणि (४. अनया ईं मा सने ससमात्यधै हे इद्‌ ^.

१. 6०. 1.6. (इ. 6० 6.) वणा€ ल््वला किण #06 सिककककाश8 18 20877) (ग. {7851684 चय शेपे ^. 84, 3 1. 2114 पा 78१6 अत शेषे, 1. अत चोक्त, (9. सतारोषश्ोष

‰. 69. 1. 7. (>. 6०, 6.) पुनकवैनुमेतयवरुन्‌ रषांतःपरिधीत्यद्रवीत्‌ ते सा वध्वमिति तत्निराह अयं माता (~ पुनवैनुमेत्यतरुवौ तमाद्‌ ध्वमिति तत्नियह त्रयं माता ^. (3. #1]. पुनव नुमेद्यन्रुवन्‌ एषाः परि द्‌ ध्वीत्यद्रवीत्‌ तमादध्वमिति तदिरदन्रयं मात 9 4. पुनवैतुमे्यजवीत्‌ तमादश्वभिति हन्नियहं त्रयं माता 8 1. पुनवैनुमेयनवीत्‌ तमादध्यमिति 1 ठल्निसहं तक्नयं माता | |

९. 6०. 1. 19. (>. 6०, 7.) दवेपरेन यचालिषएु दपदं यद्लिषु ^. 87. देपदं यद्दचिषु 34. दैषदं यहम विषु (2. (116 ६० 988. {76 7 ध्ततलर क्म 1650 द्वेषदेन यथादिषु. ^ पिर. ४. 24.

?. 6२. 1. 15. (९. 61, 171.) सत्राधिका नाभानेदिष्ठो मानवो वैश्वदेवं तदिति सघ्राधिके्ादि 287. (38. सपरेयादि ^. ^ 7111. सप्राधिका नाभानेदिष्ठो मानवो वेश्वदैवं तदि 02. सप्नाधिजा नाभनेदिष्टौ मानवौ वैश्वदेवे तदपि 24 |

" ए. 62. 1. 17. (>. 6. 107६.) उद्धय चोत्तमं सूक्तं उदं सूक्तं ^. उचुत्ं सूक्तं (28. उदवु चोत्तमं सूक्तं (६. उद्वतं उद्धतं सूतं (४4111. ~ ~ सूक्ति 31 उद्धृत्य चोत्तमं सूक्तं 3 4

{, 62. 1. 17. (. 61, 11६.) अवेतरेयव्रा्यशं ^. (2. 1. 4. ¢ 111. अतं तेत्तिसेये त्राणं (9

2. €2. 1. 22. (९. 6२, 7111४.) अनुष्ठाय मुदंति (8. 87. अनुष्टाये पयेनुष्टाये मुद्यंति ^. 3 4. ]71. एश सनुष्टयानुष्टये मुद्यंति ( 711. अनुष चानुष्टये मद्यंति (2,

0. 62. 1. 22. (र. 61, 171६.) सूक्ते शंसय सूक्ते गनं यते ^. सूक्तं संयते 84. 08. सूक्ते संयते (~ 14111. मृक्रे संस्त्य ते (1. सूकिसंस्तूनेये 087 ` ‰. 62. 4 (, 61, पा) वस्ति गाः वसिष्ठाः सहल ^. 9. ¢ 111. वशिष्ठ गा 68. 81 वशिष्टः सहस्र 8 4.

ए. 62. 1. 25. (इ. 61, 1011.) यज्ञं पारं प्रापय्य यपर पारं प्रापय ^. ¢ 4111. यज्तपां प्राप्य 91 -यन्पपरं पारं प्रपद्य (४. यक्तपारं प्राप (98. यत्तपर पार प्रापय्य 8.4 | ^ ९. 62. 1. 25. (द. 61, 7771.) सहं प्राहुः तं तदहोसरघरं सहं प्रादुः ते तद्वासहस्तं 4. सहं प्रदुः

ते तदोघख ©. 8 4 सरं प्रादुः ते तद्ासदस्त ^ 1111. सरसं खीकरुवैषं 23 1. 2 ९. 63. 1. 14. (इ. 67, २.) भागप्रदाने प्रवतैमाना भगप्रदाने वतमाना ^ भागप्रदाने व्तैमानाः (~

<

` भागप्रदाने प्रवैमाना ¢ 1111, 8 4. भगं प्रकतमाना (8. 8 1.

?. 63.1. 15. (र. 67, 1.) गोलाभसाधनतेन 8 4. मोलाभसाधनत्वेना ^. गोलभसाधन (8. | मोलामस्रा-

4111. ऋणलाम साधयन 8 1. 8 ४1 ?. 63. 1.25. (ङ. 67, 1.) तेन नाभानेदिष्टः तेन यतनिा० ^. ८. 74111. तेन यत्राना 92, 4. 2. ~

8 17148 1710713.

?. 64. 1. $ (द. 67, 9.) यथा चनः यथा धनं 4. (8. (^ 1711. यथा घनं (8. 87. यथा 34. ९. 6६. 1. 16. (ऋ. 67, 5.) लिः अस्तेः सिपि 24. 8. एाश्मानुर 8 1862 ; 100 ^, 1. ¢. 111]. 11 आतपात्‌ 097९ शरसे; सिपि लङि वहुलं हंदसीतीडभावे स्ड्छादिना सुलोषः. 9

एकि. 3, 149, 2. ?. 66. 1. 25. (द. 67, 8.) 8 9478108 णप्ात्‌ 18त] एललिः दथचेताः {0 2810811007, 06

का; 1876 98 1116 इपर & 6 56016106, 000८८ 1 (ए यः कश्चिःपगावुृक्‌ गृ] 1620719 0 {16 188. ऽता (गलप 70 न6 [0988406 फपल 0110008 ; 876 8{{€1 11110118. 728 870प्रात्‌ लं17©' © १११९ 0 प0त618000 ?. 68. 1. व. (क. 67.) हे ईदू ते तुभ्य (9. 84. टे हुभ्यं ^. 0107111, 8 ". ^8. हे रद्र 5 १, 68. 1. 12, (क. 67, 11.) पायोकक्षणं ^. ( 0111, 84 पयोलक्षण 21. 3. ~ १. 68. 1. 13. (र. 67, 71.) ए€0"6 तदोदकं 81] 16 1188. नन्द अयजत. {7 1118 + €6 1 पशु, 1४ एण्पात्‌ [कष९ एदल १९८९887 10 एत16 ते सत यदायजतं 7. 68. 1. 25. (द. 61, 12.) तो नामकारणः (४. 9 4 81. €. त्वा नामकरणः (2. ^ 0111 पक व]र9ा 2 ०६६१ 111 16 86156 07 10101181 50. | ९. 69. 1. 73. (२. 67, 72.) थनं जानति 08. धनं जानं 2. धनं जानंति 8 4. ^. 0 धा]. धनं जननंति 8 7. \ १. 79. 1. 21. (ष, 61, 16.) खवागनं 1. 9वफवा08, ईश्ला08 10 1896 फा{{ल) वाग्निः शात्‌ | 10 1896 (0006 †1 एजण78) १९ इविर्वोदुमशक्तः सन्‌. 11118 © [18.96 ठवानिः इविर्वो- दुमशक्तः सन्‌ ^. ¢ 11111. शवानः 8. 8 1.4. सोम खवाग्नि हवि वोढुं खशक्तः सन्‌ (8 ए. 71. 1. 11. (९. 67, 19.) छिना विप्रा चतस्य प्रथमजाः सत्यस्य प्रथमजाः स्यभूतस्य व्रणः प्रयमोत्पन्नाः दिनाः विप्राः ऋतस्य प्रथमनाः सग्यभूतस्य च्र्वणः प्रथमोत्पन्नो (86९. 11181. त्राः) 3 4. हिज ~ ~ - ऋछतस्य प्रयमजाः सायभूतस्य ब्रा्यणः प्रयमोत्यन्ना (८8. दिना; ऋतस्य हस्य प्रथमजाः सद प्रथमजाः स्यभूतस्य व्रब्मणः प्रथमोत्यत्ना ^. (~ 1111. (-छिनाः ऋतस्य प्रथमजाः सस्य प्रथमजाः सस्य भूतस्य ब्रमणः प्रयमोत्यवाः (8. 33. ?. 71. 1. 26. (द. 67, 20.) ऋणि शिशुः शंसनीयो श्रेणिः शिशुः नसेतेन 8 4 श्रेणिः शिशुः नसेनेन ^. ¢ 11111. प्रणिन शिशुः नसोनेन ~. 37. धरेण ना सनेन (8. ?. 76. 1. 26. (2. 62 1.) वहुवचनं ।. (118 18 116 1684178 श] {16 188. 11151९86 9 षणौ ए6 शपात्‌ €पल्टः परसेषदं. = विकृवा02, पाके, 100 ८€्ए्लः, (1). 1€28त 6 {71त्तांकलु गाता एला३68, 18९6 ९0181161-6त्‌ ॥16 86000त्‌ (थाणा). [पत््‌ (सानङ) गच्छशत [पाः णिः 16 प्रप्त कलहण) [प्श्य शात्‌ 7) पीक ८886, 106 1686178 0? {16 186. पणा" 96 लुक्न. = ^11 +€ 2788. 186 प्राघ्राः स्व, एप 3 1. @7त (18. 1876 आनश्षीरे, 8 4. सानशिरे 86९. 70दथा1., 1116] 16941700 0८्लााः§ 8150 क) {116 निव = 0 प्रदा | 2. 79. 1. 12. (+. 62 7.) ऋृषयोऽगिरस 612. {1118 10888826, {101 भणुश्चलाप्क चकद्ला 701 {76 108006१ 814, 18 106 {0 6 प्रात्‌ 7 1188. 9 फार. = 11816कत्‌ 9 तत्पुखयाय कर्मणि 4. 34. 804 ¢ शा] 1€बत कमणि, (9. 28. 3 7. कमैशि. "6 10171 1680 तत्पुरा कमोणि (1 2

४.८ 12748 12110718. 9

#. 81. 1. 12. (९. 63, 1.) वृघ्नाभिञ्जवयोस्तृतीयेऽ हनि वेश्वरैव रता्सूक्तं वेदे वं निविद्धानं [ पश्याभिञ्वपोडहयो स्मतति इनि वेश्यरेवश्स्तरे एतत्स वेश्वदेव निविद्धानं ! 8 पृष्याभिस्वपठ्छहयोस्तृतीये हनि वेश्वदेवे निर्विद्धानं ? 4, रेता्सूक्त वेश्वरे नं 111 71४ [ पृष्याभिश्रवयोः त्रतीये हनि वैश्वदेवे रुतत्सृक्त वेश्वदे वनिविद्ातं ^+ ( यृथ्याभिस्मवयोः नृतये हनि वेश्चदेवे रततसृक्तं वेश्वदेवनिविद्वानं ¢ 11111. पष्यानिञ्चवयोः तृतेये इनि वेश्वदेवे रतत्सक्तं बेश्वदेवं निविग्धानं 7 7. | षषयाभिस्रवयोः तृतीये इनि वेश्वदेवे एतत्सूक्तं वेश्देवं निविद्धानं 9. . 81. 1. 19. (>. 63, 1.) जेयं ^. 11], 8 1. (8. 84. ज्ञातैः (8. 2. 88. 1. 10. (९. 63, 15.) भ्रा दद्व 6 176 भा ०४४ 866 दिए. 1. 189, 1. ०. 91. 1. 5. (९. 64. 3.) गंतुमशक्यं गृहितुमशक्यं ? | ए. ५1. 1. 17. (क. 64, 4.) रो मत्वर्थीयः सो मत्री: ^. ^ 1111. शब्टाद्यो मर्यः 3 4. 86९. 11811. हविष्य रो मत्वर्थीयः (2. शब्दा खसो मत्वर्थीयः (8. 237. 1 +. 64 16; 99, 6. 3212 {8468 71/111101ट478 ल्लः &इ वलातर्ह्त्‌ तिना ६00४ फाल्छा§ 9 {0 10886881 96 वी568, ए12. १८ धत 140, (दोह "08868877 70 काप." 1.6. 0्ंऽ©ा8 ; गः 16 {दर68 + 88 8 [00886886 वीर, वव्िदा€त्‌ ६0 थय, हएा"८ फालका] ^ {00856887 पात119त70688,* 810. करालि) {0 ९०६, {0 काली 9. प्ट [00886881१€ ऽपी 15 206, णा. ४८1०, 21812 #0 ६6 द०ाा0प्रात्‌ 06 टदा ^ एताा{6त्‌ फा {17086 प])0 26 [008868856त 0 18411101. 1688. 1 18 10 {0881016 10 1684 [धकशत ; 0781, ए6८वप56 1116 88. 216 111811171005 80811085 1४६; 86८0)त1$, ए06८कपऽ6€ कषप) 18 16ण्टाः ६९५ 28 2 {ल्लवण {€} 0" 1088 01 015 {621.8166 | {>. 9.4. 1. 20. (-९. 64, 70.) ततः शशमानस्य शं समानं स्तोतत्ो स्मान्पातु दतः शशमानस्य शं समानं स्तोतु नो स्मान्पातु ^. ततः शशमानस्य शंसमानं स्तोहुं नो स्मान्पाहु 3 4. ततः शशमानस्य शंसमानं स्तोनु नां स्मान्पाहु ~ 1111 ततः शशमानस्य तत्समानं स्तोतुं नो स्सान्पातु (४. तततः शशमानस्य शशमानं स्तोतु