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98.98 यस्मिसतु पसे वधेनेहि नि चनं तस्मिन्पशे यनेयेम शब्दो मेधवभेनेति योज्यः । उदकशब्दछ तस्मिन्पेश्ध्या- ` हार्योऽभिव्जँनसवधात् । 0 ॥
* तपु 7. २8०, 898, यद्वा विपूवैत्सर्तेगेत्यथात्य- यथा वेसरो निःपादकगताभ्यां विरूडभ्यां नातिनभ्यामश्च- ्यचीत्यस्मेकारस्या कारः \ पृषोदणदित्वात् । विविधं सराणि त्वजात्या गदैभत्वजात्या संपन्नः ! रवं यावद निष्पाद्को
न विस्तीणौनीत्यथैः । वासराणि वेसणणीत्यवं भाषे पूवेभागापरभागो नद्नताभ्यां विरुदधाभ्यां शीतोष्णाभ्यां पूवे- परशब्दस्य ५ भागगकेन शीतेनापरभागगतेनोष्णेन संरव॑धाद्वेसरसदूरत्वा- `
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1. ४. 1. ४. हे उपे उपरितनशिल त्वं ४. हे उपके उपरितनशिले त्वं 4, 11161) 15 11004. 1, 1४. 1. 0. वाकखखरूपा ४४. वालासरूपा #, 116 16 0. | 0. +. 1. 24. पिष्टवपनीया ५४. पिषटसंयवनीया, 710 भ]$ 8, एण @अ50 # 09 सयवं
१. 5. 1. २५. किं च सस्माद्० र. किंच सतोऽस्माद्० 1161 18 11211
९. उर. 1. 8. निष्काशितः 1४. निष्कासितः 9, ८] 18 ला, 866 280600015 लगाया, 8.४. 1. 24. निः कारनेन ५४. निष्कासनेन ४ ४ =
2. >. 1. 13. पूदैस्यामाहवनीयः पालकोऽस्तीति भावः! फ. पूवैस्यामाहवनीय खव पालकोऽस्तीति नावः रश ८
षि. करस. 1. 24. विविधं रपति वेदतयरूपेश शब्दं करोतीति विरप्शी । यजो वेदिं प्राप्नो विष्णुः संबोध्यते ४ €, 705 9 9], यज्ञे 15 710४ क्रू]0 160 98. 2. गए, 2 10168801. ४९१९९" 84.168, प( 150 1४ च. शद्८मातवक, +€ 1258306, 85 [17166., 4068 1191; (णाऽ प्रह (णलङ, ® बेदतयरूपेण शब्दं करोहि ५ पा९६ ्र6€ (भपरल ग लन्रलः यज्ञः 07 विष्णुः. १४6 टा १५२ इति विप्प्फी यज्ञः, 0 000770९ इति विरष्छी यज्ञे वेदित्वं प्रापो विष्णुः. 11116 [रला 8668 धातवो ता [ालापिजा, 0 (णप, शम प0) 06 4०१68 ए168, विरप्शिनिति \ अमतिं । महव्राम । म च चिष्णुधेजञे वेदित्वमापन्नः । स हि लिभिर्वेदेनिवैतयैमानो षिविधं रपति शब्दे करोति ।
{ि. ५1. 1. 18. पंचम्य्यी पण्नो फ, पंवम्यर्ये पलयो #, एा1९), (णाल ४06 8€तथ र पष्ठी, 15 1114
१. +}. 1. 19. धाती प्र. दात्री ४, फाला, दगाऽवलाह फा ६०68 00 शला | एल
ए. अ]. 1. 18. बहिनशं फ, वहिषे जुं 0, (पला) 18 पष्ट ए. जप. 1. 2. केदनमसि फ. केदनसाधतमसि #, 01101 18 [कध्ला | ` 2. उकण). 1. 6. कया फ. श्रुनिकथा, 101 छण 8. 2, एण 8156 #, पनी ना†8 | कृत एदणि.€ इनि. ` 4 ^ ^ 7 | उश, 1. 27. (पलि इतिगेतिः, 10. 2005 विषिधेतिवीतिः, ए
7 ए 7/4 6.४.
ˆ 2. 1. 1. 19. परिक्राममिति परिक्रामति, 101 गाए 2, एण 2150 ॥॥ ९. द. 1. 26. ए. 188 दवितीयं प्राश्नाति । उपटूतो चोः पिता । रवं द्यौः पिता जगत्पाठक उप
इगयादि समानाः, 111९1} 8ध्नप३ 0{€ा' 1. ए. 1.7. मां व्रब्माणमव पाठय! ४४. मामध्वयुमव । पातय 1. {12 185 गकु मानव । पालय.
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र्पाते सन्ने) इतः प्रभृति प्राकृत्रमाष. | -: ए. 18. 1.5. प्यासिषीमहि च ४४. सा प्यासिषीमहि च }#, 111९} 18 11011 ह ए. पा, 1. 2. पृथिवीं बंधिभागानादाय ५ पृथिवीं वधिभोगानाद्ाय 11, 116] 18 11011,
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पसमाशामगन्मही त्यनेन सं्वंधः प्रयेकं }. 2. 171. 1. 1. व्चैसाद्यपेति ए. वर्च्ाद्यपैति 11, पयात। 15917001. = (ए 885, यज्ञमुपगच्छतः
पुरुषस्य सवैमेवेतदपेति वचैादि । अतोऽनेन पुनसपायति । गु]1€88 26 91005 16201008>* 86्6०६९6व तणा प-फ 9665, ६१त {€ ॥्ाप्ं
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11. 08, ४ 118. 160४ 706 ए 707. 80290 (श एव्व णाना, वद्ाल्लंपट दलाल 11) #, (प 1€€ 06 {1676 ऽप] (०018 211 11271119] 1101658.
[प € 88886 पृपम्त् एदणिः€, 1४ 88 पि 178 1 1) इणौ)). गृ6 ‡766 लुणछ€ा†8 ए€ 288. ए 106 लश] 45 भर2 96 : + (2. आत 7. 0? {11686 4. 18 एवान] ऽपपणण+€त ए ८ 10111 भत ए 4. {77 ११८५५८६ (१.
( १, ऽव1त3 ए 108; 2 1. 35 इपणु०6्त् ए 9 2, वगलकदात5 ए (12, 80 6717168 ए ए 4. 5८. १५४. = 10 तलप [2552468 {16 ^. 76201128 शल€ ९116८४९
फ़ ^ 7; प6 8. रव्वताण्डऽ 0 8 35;
४ ५ ॥ ॥
2388 1. [716 16. (इ. 46, 2.) महान् गुरः पूज्यः ^. महान् गुरः पूज्यमानो वित् (18. गुणे पूज्येः 8 1. 2. 1. ए. 1.1. 26. (कर. 46, 1.) वेया ॥ वैता 2. ज्ञाता ^. 8 1. 2 4. | | | ए. 1. 1. 70. (द. 46, 7.) वेद्यां 4. (8. ; ५668 111 21. 2. 104, ए. 1. 1. 28. (दर. 46, 1.) अपां समीप इवधेः (12. अपसामित्ययेः ^. 84. 2. 4. . 1. 1.19. (ट. 46, 7.) अथवा (4. ; 06651 4. 2 1. 2. ५. 2. 866, 7081), [0126685 यहा | 2180 1€76 करमैखामुपस्पे. | ० ए. 1. 1. 29. (र. 46, 7.) पुनः प्राथितः ^. ए 1. 2. 2; पुनः 16681 70 (8. 1 2.3. 1. 3. (९. 46, ग.) 7. (श्ाक-8 18. (2 4) €? "€ -शगानफ्नषट 7एवकृलातला। | ४ ८गापालाईधा.क 0] एला86 1; होत्ता देवानामाद्दाता जातः प्रहुतः यतः नभोवित् प्रथमनभस आकाशस्य वेदितवान् | अतः महान् सर्वेभ्यो भूतिभ्यः प्रयममाद्हाने आादिभूतत्वेन महत्वं नृषा । नपु मनुष्येषु जटराग्निरूपेणावस्थितवान् । होतु- रनेरभयो्लोौक योरेव वावस्यानं । नभोविदितयनेन नभसि \ अपामुपस्थे द्विः सह स्थाने । विद्ुदूपेण । खवंरूपोऽग्निः ८ | पृथिव्यगरनःसु पराभूत \ दधिः पृथिव्यत्ेजसो धारकविनापि च यः । स र्व वसूनि विधते । वसूनां य॑ता । यो नियंता (1 | भवति ! स रव विदधातु शक्तो । तनूपाः । तनूनां देवसतुष्यादिशरीणणां याता रक्षकः सो स्म्य शञरीरपोधकानि वसूनि विदधातु । इत्याशास्मरे ॥ | | म ए. 2. 1. 9. (2. 46, 2.) सधस्थे सस्थान (14. 860. 7081. ; १668 111 ^. 8 ग. 2. 4 #. ९. 2. 1. 9. (९. 46, 2.) निगूढं (1. ; १6९७१ 110 ^. 8 7, 2. 4. #. | 0.1.69; (र. 46; 2.) परि्रेत (4. 4. 2 4; १66९४ 1 87. 2. 0. ए. 2.1.29. (क. 46, 2.) वि्तीनं ^. 2. 8 4. विक्छीनां 3 7. 2. 24. १. 2.1.13. (-&. 46, 2.) स्तोतिः (1४. ; १९९७१ 7 4. ए. 7. 2. #. स्तोवादिहविभिषेनमिच्छनो } 4 2.५. 1. 3. (रर. 46, 2.) चात्मन इच्छतो ॥ अनिमि्षतो (1. सआात्मानमिच्छतः 4. 2 7. 2. #. | ` 2. ५.1.24. (क. 46, 3.) पलाय्याष्ु 8. पलायाप्ु ^. पलार 8 7. 2. ‰¶. पलायमानस्यापतु ¬ 4. 2.2. 1. 4. (९. 46 3.) अश्या भूमिः 1 तस्या भम्या मूधेनि । भूम्यामित्यथैः। तला विदत् लब्धवान् । सोऽग्निः 08. । चाग्र्या मद्धि भरम्यानित्यैः । तताविंदत् कयवान् सोऽग्निः 4. अगच्याः भ्रम्याः मूद्खैनि भूम्यामित्य्ः तताषिदत् ` ` कमवान् सोऽग्निः 84 त एप 26160 1710 अविदत् प्राप ततः. सष्याया गोमूषेनि | अविदत् प्राप ततः ए 1. 2. अश्ाया गोमूयैनि सर्विंदन् प्राप्रव॑तः # | #
24.1.24. (२. 46, 3.) सुखस्य वधयित सन् (8, 4, 8 4; एप 8146764 1१0 सुखरूपः 1; सुलरूपः 5 1. ४. 2.०. 1.26. (द. 46, 3.) यत्तस्यादिवस्य वा 8. आदियस्य यज्ञस्य वा ^. 2 2. 2. 14. मुखस्य यस्य वा ‰ 4. ` 2. 3.1.7. @. 46, 4) 08. [न्प७8 0 प16 फ णत्8 एकता चाहवनीयं 910 सभ्नणणां- = ` , 3.1. 7. (द. 46. 4) 0५. 2685 नेतारं प्राययितारं, 4. ? 7, ५. 11. 1896 नेतारं चरति म्र, =
1
ए^ एष168 [ए0का0क8. 3
९. 3. 1. 77. (. 46, 5.) जेतव्यान्शवृन्नयंतं ॥ नेतव्यान् (8. 8 1. 2. #. जेतव्यं ^. शतृन् जयंत ‰ 4.
९. 3. 1. 18. (>. 46, 5.) भूजेयंतभिेकं पदं कृत्वा भूरदीन् लोकाञ्चयंतमिति व्याचकार ॥ भूजैयंतमिति (रकं
पदमिति 11121.) कृत्वा €{८. (8. भूजयंतभिि रुकद्मिति मावा €{९, 4. भूजयंतं इति मत्वा भूरादीन् जयंतमिति व्याचचकार 1. 2. (मूतदीन् +{.) उन्मीये भूजेयंतमित्येकयदं मत्वा €{८. 8 4. {7 1118 (लाद 0 1116 §01118-ए९वत, सवकुताव, 8.40) ४5 {116 86 वाणम ग 0त8. = व166 16 5978, प्रत्ययं जयंत मित्यनेन संवंधयितव्यः भरः प्रथमेकवचनमिद्ं दि तीयेकवचनस्य स्थाने द्रव्य |
९. 3. 1. 24. (>+. 46, 5.) ग्रीणधनस्तुततिं ॥ प्रीणनस्तुतिं (^. ^+. 8 4 प्रीणवस्तुमिं 8 1. 2.
९. 4. 1. 12. (-. 46; 6.) 3 7. 2. प. तत् शो ल्ाश्चाक्प्रिणा 0 येतेः, ४12. अकासोऽधिवाचकः तेनायमधेः । सथिकानां शतूणां यंता: नियमनानि तेः सह शतुनिग्रहं कुवैन्नि्ययेः !
¢. 4. 1. 22. (९. 46, 7.) शितौ चयः श्चेतिमानमंचतः॥ श्ितिमान चयंत (2. श्रेतिमानमंचतः ^. शतिमा- चयवंतः } 1. 2. 9. शतिमानमंवेतः 94. 0 €पक्मिश्ष्िणा 0 ऋनयः. 41110 {16 प 811111४९ <८1101040 4068 710६ छट्टपाः 7 +ए्1186ा1, 707 71 (ला प्रा0दर8 (न्ना, 11 15 ९०ल्ला$ 0प्6त् ट्ल्छप्वा् ६0 एवै). ४. 1, 124
| 5. 1. 7. (>. 46, 8.) रसशाय 4. (2. 8 4. रदणानि 82. 2. #. ए. 5. 1. 8. (>. 46. 8.) मदं स्तुत्यं ^. (2. 34. मंदरं मादनीयं 8". 2. ४. ९. 5. 1. 9. (>. 46, 8.) यष्टूतमं वा ॥ {81684 ग (15, (8. 81016 16808 यजमाना धाहुभिवादधिरे, एए प्रा {प्र पोहा यषटूतमं 13 ए 116), (0 ¶#] (116 11866 पिल य 10 मि.
।६। 02.00: 1, 26.
>
7. 7 10111110 [पै वृ्लादिवधादिरूपेण कमेखा सायेति गच्छति ¦! अथेतिमैतिकमे । यदा अथे ईश्वरं कुर्वति 1. 98 1. ६06 5व.111९, € ९८]){ वृ्तवधादि-. भ. 1125 सयति 9 4. £17€8 कलिः संपादितवान्, केन कृतेन कर्त्वेन वृला- दिवधादिषूपेण कमणा । तथा देवासः देवाः मयि क्रुं पि वेनन् । संपादितवंतः । वृतादिवधा मम अनीकं सेन्यं कभ प्रज्ञा वा सूयैस्पेव दुष्टरं मां खयेति गच्छंति सथिरम तिकमे । यद्वा खथेमीश्रं कुषेति ॥
7. 13. 1. 4. (+. 48, 4.) खलनिप्पाद्ने यथा ॥ खलनिष्पादने ^. (2. खलनिष्याद्मे 8 4. 860, 7118 ने न; खत्दनिष्पादनेन 231. |
0. 16. 1.10. (६. 49, 3.) इदानीमिव कृतानीत्यनुवदति ^. इदानीमेव ऋृचानुवददि (४. इदानीमेव कृतान्य-
नुवदति 1 4. इदानीमेव क्रियत रयनुवदति 31, स 7. 16. 1. 22. (+. 49, 4.) प्रदेशं 37. देशं 4. 4. 8 4. [7 शा. ठपात् 1 ०6 प्रदेशनं१
1. 17. 1. ५. (\. 49, 5.) ग्रं करे +. 4. प्रदमकर (8. नघ्नं मृदं यके कर 3 1. 48 1] {€ ५ १188. + ॐ¶व114. 01१6 अडभावशदधादसः 11 15 (€ {8४ 8वक 22 1686 आयवे कर. 1116 188.
` 9 {€ {448 ८६, 10णटण्टाः 0196 सकर, | (1
१. 22. 1. 16. (ई. 5०, 5.) चम मत्यादिष् ! सौणादिक च्ातन््र्ययः । छंदस उमादे ञः ॥ चम गत्यादिषु सोणादिक 1 ालन्परययः दस उरादिरदेशषः 1 ^. (8 4. 86९. 70871. कस््रन्ध, 2110. आओमादेशः.) खम गत्यादिषु ्ोणादिक ॥ अतन्प्र्ययः खांदसः उमादेशः (2. सखोमचादिषशादिको वन्प्रययः दांदस उवडङदेशः 4. सोमच्रादिषु आओणादिको ध
तनप्र्ययः । हादस ऊडदेशः 8 1.
| | 2.23. 1.19. (क. 57; 2.) सौचिको नामाण्निः। 81. सोचीको नामाग्निः 8 5. ^. सोचीको नान 010, (1
& ।
18 {8
8816 एकलः € €ण€ः 8 70906 2 4९701 0८्८पाः
(-. 47, 1.) वृ्छवृच्धिभ्यां ८\. (2. 8. . @. [. 7, 3; एए 21. ण्ण. 1.
ए. 1. }. 8. (. 48, 3.) प्छ देवा मपि 10 वुवैते 6 {€ 18 हरल) पणा 8. 4. }88
् | ८.217.748 1110 पि 183.
1125 17688 सौचीकः. 116 889. 07 116 ए18तव लद एथ. 18. 8. 76808 अभिचक्राम सौचीको भयादग्निरिति शरुतिः. 18, प्र. (8 8716116) 16205 अपचक्राम देवभ्यः सोचिकोऽग्निरिति श्रुतिः । सूचिकः, 111 {€ 85188 0? {व्र 18 दण्ला क़ भ1150, {8त119ुर9ा14, शति 1) {116 (वा) 2- 08118, फो" ध्6 आन ४ णप. 7 पाततिण्छठ सोचीकः 1 शरा) 0१९ भनपलीक क € ध्न ५6 ॥1171(-9714701, {100६1 णिता ्ध्लुकक 176 (णाल 0068 0०४ ४ | 1 {118 ५४86 &1%€ 2) € 1010द्ा९न् त हक्षा11181681 ९१ [19020010 [र 2. 26. 1, 6. (प. 57, 5.) संमत्या ।. 1 01१ € ल्लः #0 106 तव संमत्या. ९. 6.1. 47, (कर, 52, 6.) तोदादिकः 4. 2. 8. 17 116 79४णक्ष2 चोविजौ 18 सोधादिकः. ?. 27. 1. 14. (>. 57, 9.) प्रधानस्य प्रमुखे ^. 1. 4. प्रधानदविषोऽग्रे 9. 5९९. पद. . 20. 1. 19. (९, 5 9.) शरोण्दाया इ वा खम्नयो ॥ शयीरदायादा इ वा साग्नेया 94. शयीर्दायाद्! ₹ को अग्नयो ^. श्रदाया इ वा अग्नयो (2. ; 6९8† 1) 9 1.
॥ ए. 48. 1. 46, (द, 52, 9.) शनुजातव्यं ^. 8 1. 4 सनुत्य ८.2.
। ए. 29. 1. 1. (-. 52, 2.) किंचसास इत्यथैः 7 1. 4 (६. किंच सासमिव्यैः ^. 1 86 व0षफप्णि ^ | 200४ 11५8 7883886. = 9वक ४ प्श्क 129 17160१6 ‰ एधि @९6 0 इण€ णिता प ५ = 786 17 {76 प्राकर 02. 115 कषणा 2 (जता फ 2-50ि 2 1. 23) 1४68 चदरमा मे 1, बरदा समे ब्र्या ब्रां त्वामुं वृणे 25 {11 0.05 ०5९ र 116 ऽधलनरद्लाः 70 श्युगूनप पट 115 ० ४ 12111081, 11116 16 काऽ 0? 116 81910). 18 चंदूमास्ते न्रा स ते द्या ब्रद्माहं ते मानुषः 1. । . | 4 5 {176 (ाालणथफ 81815, 11 फएप्यातै इद्लपि 0 फल्वो शप 118४ 5116, एद. इणो, ५ 13 16, ए, (भावाथ. = | हि | क ए. 29. 1. 3. (द. 52» 2.) त्देबोनयं भवक्तीति ॥ तदेवाभयं भवतीति (2. तदेवाभयं त्रीति ^. ते देवा भवतीति + हि?4; वच्व्छ रा 91. ॑ |
2.5. 1. 25. (2. 5, 5) जीवति मृतशब्दो जायते तस्य ॥ जीवति सति प्र याज्ञायते तस्मा: (2. जीवति .सति ५ | मृतश न्दो जायते तस्य 3 3. जीवति प्रजाया जायते तस्या 8 1. जीवति प्र याजायत तस्याः 4. सुएभयर्व यस्मिद्नये 1 मृतशब्दस्बमग्ने 1 षश %08. य आहिताग्नि मृतशब्द श्रुत्वा का तत प्रायश्ठित्निरिति 411.- 81. # 1. 9. 2 51 9 (2, 55, 4) शुषं सेवध्वमिति । रवं बहूच्यमानेऽग्निमनूंति सदे देवा ॥ नु षश्नं ईति सेवध्नं ¦ रवं बहू व्यान अग्निमनूर्चति सवे देवा 4. जुषध्वं सेवश्वमिति रवं बहूव्यमान् । ग्निमनूदयंति सवे देवा 9 4. ^. जुषश्वं इति एवं बहूच्यमाने अग्निमनूद्यति स्वे देवा 87. ` 6 †€् 18 (मला, वात त्वपः
लापकवृिभान 1 ४ 1 क ` 2. 33. 1. ५. (556 ) खग्नयेतरठे ्ातिक्रमण ॥ अगन नरो ठेख्यातिक्रमेश ^. अग्नि नसे वेद्यतिक्रमणे
84. प्ट चस्व॑रले न्ने (2. , अग्नि नरो देति चभिक्रमणे ए ५. | ५.1.०५. (६.८3. 7) दोकान 4. 8 4.11. चलदीयाचयान् 0. === = ` ए. 34 1.29. @. 53१ 7) भियमसान् (8 प्रियमात्मानं ^. 84. #. _ ष
। 2.97.1.7. (द. 54, २) देवाना र्खयेन 8 4. 08. णोन ‰ निवारयेन 1“ - 2 0 स उपायवर्जिते दुरे वरामेतयादिषु ॥ उत्तरगक्ेषु उत्यते व्जतषु हूर तत्रामे स 84 स्स सामु नतु ५. जस साड 1
6, २.) वयो 8. 2. 9. 8. 3. 08 बयः, ए 116 परऽय, पऽ = | 1 85 प्ल उठ प. 67, प. प्रसर |
४.५ 17745 1861710 प्न 5
35. 9. ग. 2 धात् त्रट् {0 एष्व [वर्ठ दक्षा) वयोै, 1008880 ॥ 8.९०] ९1968 वयोधैः 171 011 14८९६. 15 18 वा, पा०डडणि6 धा), 28 1166 18 70 आल्] त 25 ए8४०१}118 |
१. 39. 1. 24. (-५. 55) 1.) अवेव्य ॥ सहित्य +. सहेय ^. 94. 1668} 111 (8.
>. 3५. 1. 25. (+. 55; 1.) निधाना ^. निधना 14. भ. 168 71 €8
2. 4०. 1. 2. (५. 55, ~) 4४ {6 लात् म एटा§€ ए, 8 4. 2408 : इति विद्युदूपदर् इति च वाजसनेय यद्धा पर्जन्यस्य रूपमाह तदान! वायुरस्यंदरम्य भरातावगेतव्यः ४
?. 4०. 1. 10. (~. 55, 2.) ~+ लः उपादितवानसि ^. 1128 भूतभव्योभया न्वयाययेत्यधैस्यावृत्तिः ।. ए 4. \ का बूतभव्योभयान्ययाय पे ते व्यचस्यावृ्िः. ~. 1118568 17 {6 $द्षा16 11४९९ भयाद्यमथं स्यात् (२. 1४ पाट्. = यनव्यस्यावृचिः ५0 ९ एल
1. 4०. 1. 12. (५. 55 2.) +ल प्रियधरूतं (२. 1115618 अंतर क्ं आ सपृणाद्दिति वीते । प्र त्नं जातं ९1९.
0. 41. 1. 11. (>. 55, 4.) सत्योच्छः ॥ 0116 © [0९05 यद्योच्छः, पै 116 €] 81 € 18 1९8 0 {1€1€ 171 91 {€ +>.
{. 41. 1. 25. (५. 55, 5.) अननमनः प्राणनं ॥ सननं प्राणनं ^. अनेन मनः प्रीणनं 1. 3 4. अनेन मनः
प्राणने (8 {. 41. 1. 25. (>+. 55, 5.) सम्यगननोपेतं +. सम्यगनेनोपेते #1. 8.4. सम्यगमननोपेते (8 ए. 42. 1. 1. (+. 5535.) जण 9. 23 4, अदु ठप कीलः ४08. 0668 11 ^. ए. ¢ #111. 2. 43. 1. 1. (+. 55, 7.) महतेंटण (६. महता तंतेण ^. 3 1. 4. ४५. ^ धा.
अन्यगा; । गच्छ! \. 23 4. (8.
0. 45. [. 20, (>. 56, 6.) संवंधिनं 4. (8. 9, 1051684 0 संवंधि, 211 184ल6006, 1 एठा इदा 0 511१5
1, 46. 1. 21. (५. 35, 6.) चेत्सीः -\. (4. 9, 1703684 ग चेत्सीः. (16 ऽधा76 तप 7 07. ०८5 (व्ण चत् तो +8. 2. 1. ए. 1985.
१. 4. 1. 22. (५. 37.) लद त्ाा8 १6८8 10४ 106८6 2 [2658206 7 {16 4 पातश्ा181011 वै ६ 16 कष्टा ज पऽ वप्रा. 6 ापा्तकावपपवै, §व.फ8, पणि चत्वारि सूक्ता्युक्ता ऋषयो द्वेषे त्वलिमदलं 1. ५. “ (८ [513 10606016 7 ६16 0४10९08 ग्म. 1४ 116 4 1-
11141 तध, इध {16 71९41 पा द {४8.* 15 दिऽ {0 धता), ४. 24, 11616 {16
प्रा" (वपुपिककायेड काः [वपव ४8 216 ला7ना€त १8 [5018.
0. 48. 1. 1. (3. 5, 1.) 1116 6४४ #न) 1116 19 /111 025 ला पाकर 618 त. ८प७३५५् 7 {6 ९८९ {9 एण. ए, 1 इध्ल€त् ‰ पडि 3886 णिः [णेषु तरल ५ ललात म पाह नप€€ श्िणााच्छ ग 8व्ा28 1188. कट) 19 एष्य व््रान्ति 1 = वृपठञ०ण, चत् छित आतु, 9६ प्ल 06 16, प्6 एल्डपाौ चथ लमा 06 कण्ण = ए & ललं शालीन ण 6 एपंप्ललछ ण ता्रणपाक्नील लपध्लेणा. 1 188 फएत्छा = | ०रोल्ललत् $, कट्ल्गताफ्ठ 10 686 कृषालक©ः, ¶ पषा फण ६0 72.४९ ए€5ा06त् सचप्रो्ेः = = ` एष््धणऽ€ 106 ० {€ 86. 8१९ 2. 18 -क०पात *06 प्रर एप णिः 176 च्ल 4६
. € कह लल 0 तद्ध] पणत 2 णचः फकण6, पाली वका, गाङ 06 नक्र गहाण , | फाण्ट, धात् फला ्लरणि€ € कप्तान म 6 088. पापा क1त्त 40 नह चक्राणि 14 ५ जणा नि८ौ8. प्रोह, 110 110४ 6 ©0766{6व् 1
1.
+ 3 {2 ( 1 „+ ५ 14 । + अनु | ४ ग्ध ५ । : 17. 4. 1. 5. (~. 56, 3.) अनुं गाः । खनुगच्छ 1 + अतु गाः । अन्वगाः । अनुगच्छ) 87. खनु गाः।
॥
| 6 १ 1748 1767110 7818. ध
क | शो रज्य, दक्षा, 7 716 पिः उ 916 085 8 1010 शणफएल्, 6 द्थ्यापा० 7€४त् स्यप्रोेः | एए 70 9त0{ 8 [क्लाफएता016 राथप्रोे. मोः 18 2 फ०ात 0? तपि 0681100. ४ क: | "ल्छ्ा 11 {76 68180818 (अणक), 166 1 18 {0110६ ष प्रोष्िक. {106 (0 १ लाए 10 911. ४. 4; 120; ९0191085 ग्रोटः गौः, 0. 86 श्€० श. # 1. 3; 18 + । प्र130 21768 1116 106€द्ध1108 0 (८) 271त 0६. 1116 ^11181.8-1र08118, ¢1ए68 01081111) | 95 1116 7876 0 8 081, कणत € (णाल ३११६ [08] 28 २ 11856177 | 170 {116 88106 86786. 18108118 01९68 116 {01108 6८; दे पूदैनाद्र पटो त्तरभाद्रपदासु । 2 ` प्रो मौः भद्श्च गौः (९ प्लााश्ली धता 8, 1257 तस्येव पाद् आसां तास्तवा । पूर्व परोरयदे दवे उतरे ठु भाद्रपदे |. 1 ०५. ड खुदायशासां चतुः संख्य इहि वहुवनं । कदा पव परोपदे कदा उच्चर परोपदे ईति प्ाप्कयोष्ित्वाहटिवचनं । इतन ( । | भरतः 1. 71 1106 {स£-१€8 प्रोष 0€्८पाऽ 01166 1016 11) ए. 55, 8, 71 प्रोषटेश्ञयाः, रणाद | २9 कपुगक्षं05 फ प्राके शयानाः. 1 [दा) 6०, एला86 5, स्वप्रोधेषु 18 1860 8 @11017€' । | 1121116 {07 ^858171181 800 11 नि. | ( | | 6.28110, 1116 [2.58226 0010 तं ह सान्न 10 पराबभूवुः 18 €ए्यतवला+1 दणतप), अत 1 {18& । ल्ल) शात् 119 ¶ 0पट॥ ४0 ९ 1687060 1 (गण ल्लप्प्ाक. एप 01} । | 28 116 ण्टाश गुु05॥€ ग ९00्]व्ला पाश 13101.81100, (98 {0 810 10 शि 1 । 2 {)28822९, ए161*6 6 ८०1 701 1006 शि" सपद एन्], 2 8 01161666 ‰0 € ५८ 11188 1810 00शा एक [शलाका क्षत जिलः 1885168] 86093, 0प]त 168त ए. + ०, [0ककर्ला, 28 एनग7116. 0ण फ़ एमसि ^. प्€06€ाः, 10 18८ एला 70 | ८ प्रा 0 {16 ९तवतोणड ° (2. 7 असुगतं. (10 {118 18 00 {716 76841092 0फ्कातः = ० क्116) 1116 प्रा-66 श्वापा1188 ° कक्ष 88. 000४, कृ6॥ पक 0 8. (2. नत्व पलार (५. 16108 ॐअ 1746 ला# 0), श्रत सकपात् इपएदन्छ प्रा€ 76ततणहु असुतर. 1 11660 | ककिताङ्ग पालात्णा काः ध6 908८९68 प तुद्य रूपे 8१ संततः परिधि %€ {00 12106, शातन 9 ( ( 1716 ^पक्ा92 16016 निधाय अ0पत 06 01011{64. ८ ¢ १. 48. 1. 22. (. 52, 9.) प्राहुयान ॥ प्रोप्नोति ^. 0४. 27. 4. #. | ए. 49. 1.6. (इ. 57 5.) केषनं 1. 966 (६ भ 8 ऊ-काप(व-शी 08 1. 13, 35. ४५ ?. 49. 1.18. (इ. 57, 5) सिवा, इश्ला08 {0 18१6 1216 पितरः 25 8 1 दप्रण्ठ, वेष् ॥ 10 8१९ 168. जनः {78168 0 मनः. । ए. 5. 1 24. (द, 58, 70) &. 198 7० वणापरलािक, एप आपुक् 5818068, यत्ते अप इत्ति . यत्ते सूपैभिति यतचे पवैतानिति यतते वि्चमितति चत ऋचो लिगदसिद्धाः 1. {116 56 7 9, 6 11. ध ए ५. 188 06 उा९, छ ८वुं 148 76वताटु यने विश्वमिदं लञगरिति ९८. (12. 26805: सप्रमो \ यत्ते = 04 अप इति ! अष्टमी । यत्ते पवैतानिति ! नवमी यतते विश्वमिदं जगदिति । दशमी \ रकाद ! यत्त पणः पशणवत्त इरि । न चतस्र ऋचः निगदमिद्धा पंचम्यां पः परावत इतं हरदेश इयधैः ॥ षष्ां भूतं च भव्यं चेत्यनेन €†९. (€ ` थ 98 हरल 28 पशद्ला तणा 9. र ५1
{
ए. 53. 1. 2. (क. 58, 25.) 176 ऽशृशाध९ पला {701 ण {16 वमान एप 6 ऽपुग्०६60 #० 116 17 {1९ फण इह छयाय जीवसे 41 ५6 198. 271९6 प्रपंच 28 २ आपस, 1 । 2.55. 1. 26. (ए. 59 २.) निचि पायदेवता 4. 2 4. निचछतिः प्राणदेवता 2. निचछतिदेवता 2 1. 14.
नालति ¢. 5. + नको सेरा
च म १4
भनवेता ¢ 2411
४.4 17148 1.771108 18 1
7. 56. 1. 24. (+ ) हिनस्तु ॥ मा सागच्छतु #. म खागच्छहु 87. हिनसु ^. (~ 1111. हिनस्ति (4 हिनस्तु 8९९. 11187. मे प्रागच्छतु 8 4
ए. 57. 1. 21. (४. 60, 1.) सुब॑धोजीविताद्धानरूपोऽर्यो देवदा ^. 8 4. सुबंधोसाम जीविहायां इहानरूपो यो देवता । (8. सुवंधोर्जीवितद्धानरूपो चै देव्ता 8 1 १. 54. 1 (>. 60, 1.) ^+ ल स्ङैनरेतुभूषो {116 01त हस्तः 11112111 16 16069166
?. 58. 1. 16. (-&. 60, 2.) तस्य धल शतुः १९९8४ 1 ^. (8. 8 1. 4. 08 निययिनं (फ़ 16 8 रोक 7016 (णो ए88 17{6ात6त् 0 नियाभिनं, 2110 71€व01 †0 € 1861६ घ0€" 1116 7157 निययिनं. 1 4. 1125 11066 नियमिनं (8९) 6 ल्ल) निययिनं 871त् रथं.
2. 59. 1. 12. (९. 6० 5.) अनयेंद्रमाद्धयतेऽसमाव्यये ॥ शनयासमातिपु असमात्यथं इद्र 1. अनयासमातिषु अस मात्यये दे इद्र 1. 4. अनया इंद्रस्य समा सा त समाये तता घवाणि (४. अनया ईं मा सने ससमात्यधै हे इद् ^.
१. 6०. 1.6. (इ. 6० 6.) वणा€ ल््वला किण #06 सिककककाश8 18 20877) (ग. {7851684 ग चय शेपे ^. 84, 3 1. 2114 ८ पा 78१6 अत शेषे, 1. अत चोक्त, (9. सतारोषश्ोष
‰. 69. 1. 7. (>. 6०, 6.) पुनकवैनुमेतयवरुन् रषांतःपरिधीत्यद्रवीत् ते सा वध्वमिति तत्निराह । अयं माता (~ पुनवैनुमेत्यतरुवौ तमाद् ध्वमिति तत्नियह त्रयं माता ^. (3. ८ #1]. पुनव नुमेद्यन्रुवन् एषाः परि द् ध्वीत्यद्रवीत् तमादध्वमिति तदिरदन्रयं मात 9 4. पुनवैतुमे्यजवीत् तमादश्वभिति । हन्नियहं त्रयं माता 8 1. पुनवैनुमेयनवीत् तमादध्यमिति 1 ठल्निसहं तक्नयं माता ४ | |
९. 6०. 1. 19. (>. 6०, 7.) दवेपरेन यचालिषएु ॥ दपदं यद्लिषु ^. 87. देपदं यद्दचिषु 34. दैषदं यहम विषु (2. (116 ६० 988. ण {76 7 ध्ततलर क्म 1650 द्वेषदेन यथादिषु. ^ पिर. ४. 24.
?. 6२. 1. 15. (९. 61, 171.) सत्राधिका नाभानेदिष्ठो मानवो वैश्वदेवं तदिति ॥ सघ्राधिके्ादि 287. (38. सपरेयादि ^. ^ 7111. सप्राधिका नाभानेदिष्ठो मानवो वेश्वदैवं तदि 02. सप्नाधिजा नाभनेदिष्टौ मानवौ वैश्वदेवे तदपि 24 |
" ए. 62. 1. 17. (>. 6. 107६.) उद्धय चोत्तमं सूक्तं ॥ उदं सूक्तं ^. उचुत्ं सूक्तं (28. उदवु स चोत्तमं सूक्तं (६. उद्वतं च उद्धतं सूतं (४4111. उ ~ ~ सूक्ति 31 उद्धृत्य चोत्तमं सूक्तं 3 4
{, 62. 1. 17. (. 61, 11६.) अवेतरेयव्रा्यशं । ^. (2. ए 1. 4. ¢ 111. अतं तेत्तिसेये त्राणं (9
2. €2. 1. 22. (९. 6२, 7111४.) अनुष्ठाय मुदंति । (8. 87. अनुष्टाये पयेनुष्टाये मुद्यंति ^. 3 4. ]71. एश सनुष्टयानुष्टये मुद्यंति ( 711. अनुष चानुष्टये मद्यंति (2,
0. 62. 1. 22. (र. 61, 171६.) सूक्ते शंसय ॥ सूक्ते गनं यते ^. सूक्तं संयते 84. 08. सूक्ते संयते (~ 14111. मृक्रे संस्त्य ते (1. सूकिसंस्तूनेये 087 ` ‰. 62. 4 (, 61, पा) वस्ति गाः ॥ वसिष्ठाः सहल ^. 9. ¢ 111. वशिष्ठ गा 68. 81 वशिष्टः सहस्र 8 4.
ए. 62. 1. 25. (इ. 61, 1011.) यज्ञं पारं प्रापय्य ॥ यपर पारं प्रापय ^. ¢ 4111. यज्तपां र प्राप्य 91 -यन्पपरं पारं प्रपद्य (४. यक्तपारं प्राप (98. यत्तपर पार प्रापय्य 8.4 | ^ ८ ९. 62. 1. 25. (द. 61, 7771.) सहं प्राहुः । तं च तदहोसरघरं ॥ सहं प्रादुः ते च तद्वासहस्तं 4. सहं प्रदुः
ते च तदोघख ©. 8 4 सरं प्रादुः ते च तद्ासदस्त ^ 1111. सरसं खीकरुवैषं 23 1. 2 ९. 63. 1. 14. (इ. 67, २.) भागप्रदाने प्रवतैमाना ॥ भगप्रदाने वतमाना ^ भागप्रदाने च व्तैमानाः (~
५ च <
` भागप्रदाने प्रवैमाना ¢ 1111, 8 4. भगं प्रकतमाना (8. 8 1.
?. 63.1. 15. (र. 67, 1.) गोलाभसाधनतेन 8 4. मोलाभसाधनत्वेना ^. गोलभसाधन (8. | मोलामस्रा-
4111. ऋणलाम साधयन 8 1. 8 ४1 ?. 63. 1.25. (ङ. 67, 1.) तेन नाभानेदिष्टः ॥ तेन यतनिा० ^. ८. 74111. तेन यत्राना 92, 4. 2. ~
8 ए 17148 1710713.
?. 64. 1. $ (द. 67, 9.) यथा चनः ॥ यथा धनं 4. (8. (^ 1711. यथा घनं (8. 87. यथा 34. ९. 6६. 1. 16. (ऋ. 67, 5.) लिः अस्तेः सिपि 24. 8. एाश्मानुर 8 1862 ; 100 ^, 1. ¢. 111]. 11 आतपात् 097९ ए शरसे; सिपि लङि वहुलं हंदसीतीडभावे स्ड्छादिना सुलोषः. 9 ए
एकि. 3, 149, 2. ?. 66. 1. 25. (द. 67, 8.) 8 9478108 णप्ात् 18त] एललिः दथचेताः {0 ४ 2810811007, 06
का; 1876 † 98 1116 इपर ग & 6 56016106, 000८८ 1 (ए यः कश्चिःपगावुृक् गृ] 1620719 0 {16 188. ऽता (गलप 70 न6 [0988406 फपल 0110008 ; 876 8{{€1 11110118. 728 870प्रात् लं17©' © १११९ 0 प0त618000 ?. 68. 1. व. (क. 67.) हे ईदू ते तुभ्य (9. 84. टे हुभ्यं ^. 0107111, 8 ". ^8. हे रद्र 5 १, 68. 1. 12, (क. 67, 11.) पायोकक्षणं ^. ( 0111, 84 पयोलक्षण 21. 3. ~ ध १. 68. 1. 13. (र. 67, 71.) ए€0"6 तदोदकं 81] 16 1188. नन्द अयजत. {7 1118 + €6 1 पशु, 1४ एण्पात् [कष९ एदल १९८९887 10 एत16 ते सत यदायजतं 7. 68. 1. 25. (द. 61, 12.) तो नामकारणः । (४. 9 4 81. €. त्वा नामकरणः (2. ^ 0111 पक व]र9ा 2 ०६६१ 111 16 86156 07 10101181 50. | ९. 69. 1. 73. (२. 67, 72.) थनं जानति । 08. धनं जानं 2. धनं न जानंति 8 4. ^. 0 धा]. धनं जननंति 8 7. \ १. 79. 1. 21. (ष, 61, 16.) स खवागनं 1. 9वफवा08, ईश्ला08 10 1896 फा{{ल) स वाग्निः शात् | 10 1896 (0006 †1 € एजण78) १९ इविर्वोदुमशक्तः सन्. 11118 © [18.96 स ठवानिः इविर्वो- दुमशक्तः सन् ^. ¢ 11111. स शवानः 8. 8 1.4. सोम खवाग्नि हवि वोढुं खशक्तः सन् (8 ४ ए. 71. 1. 11. (९. 67, 19.) छिना विप्रा चतस्य प्रथमजाः सत्यस्य प्रथमजाः स्यभूतस्य व्रणः प्रयमोत्पन्नाः ॥ दिनाः विप्राः ऋतस्य प्रथमनाः सग्यभूतस्य च्र्वणः प्रथमोत्पन्नो (86९. 11181. त्राः) 3 4. हिज ~ ~ - ऋछतस्य प्रयमजाः सायभूतस्य ब्रा्यणः प्रयमोत्यन्ना (८8. दिना; ऋतस्य हस्य प्रथमजाः सद प्रथमजाः स्यभूतस्य व्रब्मणः प्रथमोत्यत्ना ^. (~ 1111. (-छिनाः ऋतस्य प्रथमजाः सस्य प्रथमजाः सस्य भूतस्य ब्रमणः प्रयमोत्यवाः (8. 33. ?. 71. 1. 26. (द. 67, 20.) ऋणि शिशुः शंसनीयो ॥ श्रेणिः न शिशुः नसेतेन 8 4 श्रेणिः न शिशुः नसेनेन ^. ¢ 11111. प्रणिन शिशुः नसोनेन ~. 37. धरेण ना सनेन (8. ?. 76. 1. 26. (2. 62 1.) वहुवचनं ।. (118 18 116 1684178 ग श] {16 188. 11151९86 9 षणौ ए6 शपात् €पल्टः परसेषदं. = विकृवा02, पाके, 100 ८€्ए्लः, (1). 1€28त 6 ध {71त्तांकलु गाता एला३68, 18९6 ९0181161-6त् ॥16 86000त् (थाणा). [पत्् (सानङ) गच्छशत [पाः णिः 16 प्रप्त कलहण) [प्श्य शात् 7) पीक ८886, 106 1686178 0? {16 186. पणा" 96 लुक्न. = ^11 +€ 2788. 186 प्राघ्राः स्व, एप 3 1. @7त (18. 1876 आनश्षीरे, 8 4. सानशिरे 86९. 70दथा1., 1116] 16941700 0८्लााः§ 8150 क) {116 निव = 0 प्रदा | 2. 79. 1. 12. (+. 62 7.) ऋृषयोऽगिरस 612. {1118 10888826, {101 भणुश्चलाप्क चकद्ला 701 {76 108006१ 814, 18 106 {0 6 प्रात् 7 क 1188. 9 क फार. = 11816कत् 9 तत्पुखयाय च कर्मणि 4. 34. 804 ¢ शा] 1€बत कमणि, (9. 28. 3 7. कमैशि. "6 10171 1680 तत्पुरा च कमोणि (1 2 ४
४.८ 12748 12110718. 9
#. 81. 1. 12. (९. 63, 1.) वृघ्नाभिञ्जवयोस्तृतीयेऽ हनि वेश्वरैव रता्सूक्तं वेदे वं निविद्धानं ॥ [ पश्याभिञ्वपोडहयो स्मतति इनि वेश्यरेवश्स्तरे एतत्स वेश्वदेव निविद्धानं ! 8 पृष्याभिस्वपठ्छहयोस्तृतीये हनि वेश्वदेवे निर्विद्धानं ? 4, रेता्सूक्त वेश्वरे नं 111 71४ [ पृष्याभिश्रवयोः त्रतीये हनि वैश्वदेवे रुतत्सृक्त वेश्वदे वनिविद्ातं ^+ ( यृथ्याभिस्मवयोः नृतये हनि वेश्चदेवे रततसृक्तं वेश्वदेवनिविद्वानं ¢ 11111. पष्यानिञ्चवयोः तृतेये इनि वेश्वदेवे रतत्सक्तं बेश्वदेवं निविग्धानं 7 7. | षषयाभिस्रवयोः तृतीये इनि वेश्वदेवे एतत्सूक्तं वेश्देवं निविद्धानं 9. . 81. 1. 19. (>. 63, 1.) जेयं ^. ८ 11], 8 1. (8. 84. ज्ञातैः (8. 2. 88. 1. 10. (९. 63, 15.) भ्रा दद्व 6 176 भा ०४४ 866 दिए. 1. 189, 1. ०. 91. 1. 5. (९. 64. 3.) गंतुमशक्यं ॥ गृहितुमशक्यं ? | ए. ५1. 1. 17. (क. 64, 4.) रो मत्वर्थीयः ॥ सो मत्री: ^. ^ 1111. शब्टाद्यो मर्यः 3 4. 86९. 11811. हविष्य रो मत्वर्थीयः (2. शब्दा खसो मत्वर्थीयः (8. 237. 1 +. 64 16; 99, 6. 3212 {8468 71/111101ट478 ल्लः &इ वलातर्ह्त् तिना ६00४ ए फाल्छा§ 9 {0 10886881 96 वी568, ए12. १८ धत 140, (दोह "08868877 70 काप." 1.6. 0्ंऽ©ा8 ; गः 16 {दर68 + 88 8 [00886886 वीर, वव्िदा€त् ६0 थय, हएा"८ फालका] ^ {00856887 पात119त70688,* 810. करालि) {0 € ९०६, {0 काली 9. प्ट [00886881१€ ऽपी ड 15 206, णा. ४८1०, 21812 #0 ६6 द०ाा0प्रात् 06 टदा त ^ एताा{6त् फा {17086 प])0 26 [008868856त 0 18411101. 1688. 1 18 10 {0881016 10 1684 [धकशत ; 0781, ए6८वप56 1116 88. 216 111811171005 80811085 1४६; 86८0)त1$, ए06८कपऽ6€ कषप) 18 16ण्टाः ६९५ 28 2 {ल्लवण {€} 0" 1088 01 015 {621.8166 | {>. 9.4. 1. 20. (-९. 64, 70.) ततः शशमानस्य शं समानं स्तोतत्ो ऽ स्मान्पातु ॥ दतः शशमानस्य शं समानं स्तोतु नो स्मान्पातु ^. ततः शशमानस्य शंसमानं स्तोहुं नो स्मान्पाहु 3 4. ततः शशमानस्य शंसमानं स्तोनु नां स्मान्पाहु ~ 1111 ततः शशमानस्य तत्समानं स्तोतुं नो स्सान्पातु (४. तततः शशमानस्य शशमानं स्तोतु